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Join NowRBI: क्या आपने कभी सोचा है कि जब भारत में रवींद्रनाथ टैगोर, मदर टेरेसा या मौलाना अबुल कलाम आजाद जैसे महानुभाव हुए हैं, तो भारतीय करेंसी (Indian currency) पर महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) की ही तस्वीर क्यों छपती है? भारत जैसे महान हस्तियों की धरती में यह एक आम सवाल है, लेकिन इस बार भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India – RBI) ने खुद इस राज़ से पर्दा उठाया है। RBI के कामकाज पर बनी एक खास डॉक्यूमेंट्री में इस बात का खुलासा हुआ है कि नोटों पर गांधीजी की तस्वीर क्यों है, और यह फैसला यूँ ही नहीं हुआ, बल्कि इसके पीछे गहरी सोच और सर्वसम्मति थी। यह आरबीआई के इतिहास का एक महत्वपूर्ण पहलू है जो हर भारतीय के लिए जानना ज़रूरी है।
कई नामों पर हुई चर्चा, पर गांधीजी पर ही बनी सहमति: RBI का खुलासा!
रिजर्व बैंक ने यह स्पष्ट किया है कि भारतीय रुपयों पर किसी मशहूर शख्सियत की तस्वीर लगाने के लिए कई बड़े नामों पर विचार-विमर्श हुआ था। इनमें रवींद्रनाथ टैगोर, मदर टेरेसा जैसे सम्मानित व्यक्ति शामिल थे। लेकिन, जब सभी पहलुओं पर गहराई से विचार किया गया, तो महात्मा गांधी के नाम पर अंतिम सहमति बनी। इस सर्वसम्मति का ही नतीजा है कि दशकों से भारतीय नोटों पर हमें बापू का ही वह चिर-परिचित और पूजनीय चेहरा दिखाई देता है। यह बताता है कि राष्ट्रपिता का भारतीय स्वतंत्रता संग्राम और देश के निर्माण में योगदान कितना अमूल्य है कि उन्हें करेंसी पर सम्मान दिया गया।
असली और नकली नोटों की पहचान में क्यों ज़रूरी है गांधीजी की तस्वीर?
भारतीय रिजर्व बैंक ने आगे विस्तार से बताया है कि नोट पर किसी प्रसिद्ध व्यक्ति की तस्वीर होने से नकली नोटों को पहचानने में काफी आसानी होती है। अगर नकली नोटों के डिजाइन में तस्वीर की छपाई अच्छी नहीं होती है, तो गांधीजी की तस्वीर की सुरक्षा विशेषताओं (security features) और बारीकियों की मदद से असली और नकली नोट के बीच फर्क करना आसान हो जाता है। यह एक तरह का सुरक्षा तंत्र (safety mechanism) है जो नकली नोटों की रोकथाम में मदद करता है।
भारत में नोटों के डिजाइन और सुरक्षा सुविधाओं को देखते हुए, यह सच है कि कई अन्य प्रसिद्ध हस्तियों की तस्वीरें भी नोटों पर छापने लायक थीं। लेकिन रवींद्रनाथ टैगोर, मदर टेरेसा और अबुल कलाम आजाद जैसे कई मशहूर लोगों के नामों पर विचार करने के बावजूद, अंततः महात्मा गांधी पर ही सहमति बनी, जो राष्ट्र की एकता और अखंडता के प्रतीक माने जाते हैं। भारतीय नोटों का इतिहास बताता है कि कैसे ये डिज़ाइन समय के साथ बदले और राष्ट्र की प्रगति को दर्शाते रहे।
अंग्रेजों के ज़माने की करेंसी से लेकर आज के आधुनिक नोटों तक का सफ़र!
आजादी से पहले, यानी अंग्रेजों के शासन काल में, भारतीय करेंसी पर उपनिवेशवाद और उसके ऐतिहासिक संदर्भों की झलक मिलती थी। तब नोटों पर वनस्पतियों और जीवों (जैसे बाघ, हिरण) के चित्र होते थे। रुपये पर ‘सज्जित हाथियों’ और राजाओं के अलंकृत चित्रों के माध्यम से ब्रिटिश साम्राज्य की भव्यता को दर्शाने का प्रयास किया जाता था। यह दर्शाता है कि कैसे औपनिवेशिक भारत (colonial India) की आर्थिक प्रणाली पर ब्रिटिश शासन का प्रभाव था।
RBI के अनुसार, जब भारत को आजादी मिली, तो रुपये पर छपने वाली तस्वीरें भी धीरे-धीरे बदलने लगीं। शुरुआत में, नोटों पर अशोक स्तंभ (Ashoka Pillar) के शेर का प्रतीक, प्रसिद्ध ऐतिहासिक स्थलों आदि का इस्तेमाल किया जाने लगा। जैसे-जैसे देश ने विज्ञान के क्षेत्र में प्रगति की और हरित क्रांति जैसी उपलब्धियां हासिल कीं, नोटों पर इन विकासों को उकेरा गया। आर्यभट्ट (Aryabhata) जैसे वैज्ञानिक नायकों की तस्वीर और खेतों में काम करते किसानों की खूबसूरत तस्वीरें विकास की कहानी कहती थीं, जो भारत की समृद्धि और आत्मनिर्भरता को दर्शाती थीं।
गांधीजी की तस्वीर वाले पहले नोट कब छपे थे? इतिहास की वो खास तारीख!
भारतीय रिजर्व बैंक की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, 2 अक्टूबर, 1969 को, जब महात्मा गांधी के जन्म के 100 साल पूरे हुए, तब पहली बार 100 रुपये का एक स्मारक नोट जारी किया गया था। इस नोट पर सेवाग्राम आश्रम के साथ महात्मा गांधी की तस्वीर थी। यह बापू को एक अमूल्य श्रद्धांजलि थी।
इसके बाद, 1987 से उनकी तस्वीर नियमित रूप से भारतीय नोटों पर दिखाई देने लगी। उसी साल अक्टूबर में, गांधीजी की तस्वीर वाले 500 रुपये के नोट जारी किए गए। फिर, 1996 में, नए सुरक्षा फीचर्स के साथ महात्मा गांधी नोटों की एक सीरीज शुरू की गई, जिसने नोटों की सुरक्षा और डिज़ाइन दोनों में क्रांति ला दी। यह वह समय था जब RBI ने डिजिटल सुरक्षा को महत्व देना शुरू किया था।
‘RBI Unlocked: Beyond the Rupi’ – कहाँ देखें यह अनूठी डॉक्यूमेंट्री?
RBI ने एक डॉक्यूमेंट्री के माध्यम से अपने कार्यप्रणाली के विभिन्न पहलुओं को भी उजागर किया है। इसमें बताया गया है कि कैसे बैंक प्रिंटिंग प्रेस से देश के कोने-कोने तक पैसे पहुंचाने के लिए ट्रेन, जलमार्ग और वायुमार्ग जैसे परिवहन साधनों का इस्तेमाल करता है। यह पहली बार है जब RBI की ‘क्या भूमिका है’ और ‘कैसे काम करता है’ जैसे सवालों का जवाब एक डॉक्यूमेंट्री के रूप में प्रस्तुत किया गया है। इस अनूठी डॉक्यूमेंट्री का नाम है ‘RBI Unlocked: Beyond the Rupi’, जिसे आप JioCinema पर देख सकते हैं। यह न केवल आरबीआई के आर्थिक प्रबंधन को समझने का एक अवसर है, बल्कि यह भी जानने का मौका है कि कैसे हमारे पैसे की यात्रा तय होती है।
यह जानकारी भारतीय अर्थव्यवस्था के वित्त और मौद्रिक नीति (monetary policy) को समझने में मदद करती है और बताती है कि कैसे राष्ट्रपिता का चरित्र और उनके सिद्धांत आज भी हमारे राष्ट्र के प्रतीकों में जीवित हैं।