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Join NowJP Nadda: भारतीय जनता पार्टी (BJP), भारत की सबसे बड़ी राजनीतिक शक्ति, जल्द ही अपने नए राष्ट्रीय अध्यक्ष (New National President) का चुनाव करने की तैयारी में है। यह महत्वपूर्ण चुनाव ऐसे समय में हो रहा है जब पार्टी 2024 के लोकसभा चुनावों (Lok Sabha Elections 2024) में अपनी अभूतपूर्व जीत के बाद एक नई ऊर्जा के साथ आगे बढ़ रही है। पार्टी के संविधान के अनुसार आवश्यक राज्य अध्यक्षों की नियुक्ति (Appointment of State Presidents) की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है, जिसने शीर्ष संगठनात्मक पद के लिए रास्ता साफ कर दिया है।
वर्तमान भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा (JP Nadda) का कार्यकाल जनवरी 2023 में ही पूरा हो गया था, लेकिन आम चुनावों को देखते हुए इसे पहले जून 2024 तक और फिर पुनः बढ़ा दिया गया था, जिससे वे फिलहाल अपने पद पर बने हुए हैं। ऐसे में, यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि नड्डा के बाद भाजपा का नेतृत्व (BJP Leadership) कौन संभालेगा और इस पद के लिए सबसे मजबूत दावेदार कौन है। आंतरिक गलियारों में नए राष्ट्रीय अध्यक्ष को लेकर चर्चाएं तेज़ हैं, और पार्टी कई प्रमुख चेहरों पर विचार कर रही है।
26 राज्यों में प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त: राष्ट्रीय अध्यक्ष चुनाव का रास्ता साफ!
भाजपा ने अपनी संगठनात्मक मजबूती को बनाए रखने के लिए एक बड़ी पहल करते हुए अब तक 26 राज्यों और 2 केंद्र शासित प्रदेशों के लिए नए प्रदेश अध्यक्षों की नियुक्ति कर दी है। यह कदम भाजपा के संगठनात्मक ढांचे के निचले स्तर तक मजबूती को दर्शाता है और नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया के लिए एक महत्वपूर्ण पूर्व-शर्त है। सूत्रों के अनुसार, पार्टी अपना अगला राष्ट्रीय अध्यक्ष चुनते समय तीन मुख्य कारकों पर गहनता से विचार कर रही है:
- संगठनात्मक अनुभव (Organizational Experience): पार्टी ऐसे व्यक्ति को तरजीह देना चाहती है जिसके पास संगठन को चलाने, कैडर को एकजुट रखने और चुनावी रणनीतियों को प्रभावी ढंग से लागू करने का व्यापक अनुभव हो।
- क्षेत्रीय संतुलन (Regional Balance): एक ऐसे नेता की तलाश है जो पूरे भारत के विभिन्न क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व कर सके और पार्टी के क्षेत्रीय विस्तार को बढ़ावा दे सके, खासकर आगामी राज्य चुनावों को देखते हुए।
- जातिगत समीकरण (Caste Equations): सामाजिक और जातीय समीकरणों को संतुलित करना भाजपा की हमेशा से एक प्राथमिकता रही है, और नए अध्यक्ष का चुनाव करते समय इन पहलुओं को भी ध्यान में रखा जाएगा ताकि समाज के हर वर्ग का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित हो सके।
माना जा रहा है कि पार्टी जल्द ही इस चुनाव प्रक्रिया की देखरेख के लिए एक केंद्रीय चुनाव समिति (Central Election Committee) का गठन करेगी। यह समिति नामांकन, जांच और आवश्यकता पड़ने पर मतदान की सुचारू व्यवस्था सुनिश्चित करेगी, ताकि पार्टी के आंतरिक लोकतंत्र का पालन हो सके।
बीजेपी में राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव कैसे होता है? संगठनात्मक प्रक्रिया का पूरा लेखा-जोखा
भाजपा अपने चुनाव प्रक्रिया को लेकर काफी व्यवस्थित है। पार्टी के संविधान के अनुसार, राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव एक निर्धारित चरणबद्ध प्रक्रिया से होता है:
- मंडल/ब्लॉक स्तर पर चुनाव: सबसे पहले पार्टी के आधे मंडलों (ब्लॉक) में चुनाव संपन्न कराए जाते हैं।
- जिला अध्यक्षों का चुनाव: आधे जिलों में चुनाव होने के बाद जिला अध्यक्षों का चयन किया जाता है।
- राज्य अध्यक्षों का चुनाव: कम से कम आधे राज्यों में प्रदेश अध्यक्षों की नियुक्ति के बाद ही राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव का मार्ग प्रशस्त होता है।
भाजपा ने हाल ही में संगठनात्मक सुधार के दूसरे चरण के तहत 7 राज्यों और 2 केंद्र शासित प्रदेशों (जैसे पुडुचेरी, अंडमान और निकोबार) के नए प्रदेश प्रमुखों की घोषणा की। इससे पहले भी मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और मिजोरम जैसे राज्यों में नए प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किए गए थे।
भाजपा अध्यक्ष पद की दौड़ में कौन-कौन हैं? 6 दिग्गज नेताओं पर गरमाईं चर्चाएं!
न्यूज एजेंसी एएनआई (ANI) के सूत्रों के हवाले से भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष पद की दौड़ में चल रहे छह प्रमुख चेहरों की पहचान की गई है, जो पार्टी के संगठनात्मक अनुभव, क्षेत्रीय संतुलन, जातीय और सामाजिक समीकरणों को साधने में माहिर माने जाते हैं:
- शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan): मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री रह चुके शिवराज सिंह चौहान अपनी जमीनी पकड़, जनसंघ से गहरा जुड़ाव और सहमति बनाने की क्षमता के लिए जाने जाते हैं। उनका राष्ट्रीय स्तर पर व्यापक स्वीकृत चेहरा और संगठन के साथ उनका गहरा संबंध उन्हें एक मजबूत दावेदार बनाता है।
- मनोहर लाल खट्टर (Manohar Lal Khattar): हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री रहे खट्टर आरएसएस (RSS) पृष्ठभूमि और प्रशासनिक अनुभव रखते हैं। उन्हें हिंदी बेल्ट से बाहर के समीकरणों को संतुलित करने वाला एक उपयुक्त चेहरा माना जा रहा है, जिससे पार्टी देश के विभिन्न हिस्सों में अपनी पहुँच बढ़ा सके।
- भूपेंद्र यादव (Bhupender Yadav): वर्तमान केंद्रीय श्रम मंत्री और संगठन के एक पुराने और अनुभवी चेहरे हैं। वे जातीय संतुलन साधने में माहिर माने जाते हैं और चुनाव प्रबंधन में सिद्धहस्त हैं। राजस्थान से होने के कारण वे पश्चिमी भारत का प्रतिनिधित्व करते हैं।
- धर्मेंद्र प्रधान (Dharmendra Pradhan): शिक्षा मंत्री और ओडिशा से एक प्रभावशाली नेता के तौर पर उभरे धर्मेंद्र प्रधान, पूर्वी भारत में पार्टी के विस्तार के लिए एक रणनीतिक चेहरा हैं। वे संगठन और सरकार दोनों में संतुलित भूमिका निभाते रहे हैं।
- सुनील बंसल (Sunil Bansal): राष्ट्रीय महासचिव और जमीनी रणनीतिकार के तौर पर जाने जाते हैं। उत्तर प्रदेश में संगठनात्मक कार्यों में उनकी सफलता को संगठन में अच्छी तरह से पहचाना जाता है। वे युवा नेतृत्व का एक सशक्त विकल्प पेश कर सकते हैं।
- विनोद तावड़े (Vinod Tawde): संगठन और शिक्षा के क्षेत्र में सक्रिय रहे विनोद तावड़े का संबंध महाराष्ट्र से है, जो देश की राजनीति में एक महत्वपूर्ण राज्य है। उनका महाराष्ट्र से जुड़ाव क्षेत्रीय संतुलन बनाने में पार्टी की मदद कर सकता है।
यह देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा इन दिग्गजों में से किसे चुनकर अपनी अगली राजनीतिक यात्रा तय करती है। नए अध्यक्ष के चयन से न केवल पार्टी की आंतरिक गतिशीलता प्रभावित होगी, बल्कि भविष्य की चुनावी रणनीतियों और देश की राजनीति की दिशा भी तय होगी। यह प्रक्रिया भाजपा के ‘संपर्क से समर्थन’ (Connect & Support) जैसे अभियानों को नई ऊर्जा देगी और भारत, अमेरिका और ब्रिटेन में बैठे राजनीतिक विश्लेषकों की भी नजरें इस पर टिकी रहेंगी।
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