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Join NowSupreme Court: भारतीय न्यायपालिका के इतिहास में यह एक बिल्कुल अनूठा और अभूतपूर्व कदम है। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के प्रशासन ने केंद्र सरकार को पत्र लिखकर राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में मुख्य न्यायाधीश (CJI) के आधिकारिक निवास, कृष्ण मेनन मार्ग पर स्थित बंगले का कब्जा वापस लेने का आग्रह किया है। इस मामले ने अब तूल पकड़ लिया है, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के प्रशासन ने साफ तौर पर कहा है कि इस बंगले के वर्तमान रहने वाले, पूर्व सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ (Former CJI DY Chandrachud), निर्धारित समय सीमा से काफी अधिक समय से वहां रह रहे हैं। यह सीधा पत्राचार सुप्रीम कोर्ट के प्रशासन द्वारा आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय (MoHUA) को लिखा गया है, जिसमें बंगला नंबर 5, कृष्ण मेनन मार्ग का कब्जा जल्द से जल्द लेने का अनुरोध किया गया है।
पूरा घटनाक्रम क्या है? जानें विस्तार से:
यह मामला तब प्रकाश में आया जब 1 जुलाई को लिखे एक पत्र में सर्वोच्च न्यायालय के प्रशासन ने आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय के सचिव को इस बंगले को “बिना किसी और देरी के” खाली कराने के लिए कहा, ताकि इसे अदालत की हाउसिंग पूल में वापस लौटाया जा सके। पत्र के अनुसार, जस्टिस चंद्रचूड़ को 31 मई को इस आवास में रहने की अनुमति की अवधि समाप्त हो गई थी। भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश (Ex-CJI) के लिए सरकारी आवास को लेकर नियम काफी स्पष्ट हैं, और इस बार इन नियमों का सख्ती से पालन कराने पर जोर दिया गया है।
कानूनी नियम क्या कहते हैं और क्या हुआ उल्लंघन?
सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश (संशोधन) नियम, 2022 (Supreme Court Judges (Amendment) Rules, 2022) के नियम 3B के तहत, एक सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश को पद से हटने के बाद अधिकतम छह महीने की अवधि तक टाइप VII श्रेणी का बंगला, जो कि कृष्ण मेनन मार्ग वाले बंगले से एक स्तर नीचे होता है, रखने की अनुमति मिल सकती है। ऐसे में, पूर्व सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़, जिनका कार्यकाल नवंबर 2022 से नवंबर 2024 तक रहा (देश के 50वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में), को भी इस नियम का पालन करना अपेक्षित था।
विवाद और एक्सटेंशन की लंबी कहानी:
यह दिलचस्प है कि चंद्रचूड़ के उत्तराधिकारी, पूर्व सीजेआई संजीव खन्ना, जिन्होंने नवंबर 2024 में पदभार संभाला था, ने अपने छह महीने के कार्यकाल के दौरान उस आधिकारिक निवास में शिफ्ट होने का विकल्प नहीं चुना था। यहां तक कि वर्तमान सीजेआई बी आर गवाई (CJI BR Gavai), जो इस मई में भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश बने हैं, उन्होंने भी पहले से आवंटित किसी अन्य बंगले में रहना जारी रखा है। यह कदम इस ओर इशारा करता है कि वर्तमान नेतृत्व सरकारी आवासों के आवंटन और उपयोग के नियमों के प्रति अधिक सचेत है।
यह सब तब शुरू हुआ जब 18 दिसंबर 2024 को, जस्टिस चंद्रचूड़ ने अपने तत्कालीन उत्तराधिकारी (जस्टिस संजीव खन्ना) को एक पत्र लिखा था। इसमें उन्होंने गुजारिश की थी कि उन्हें 30 अप्रैल, 2025 तक कृष्ण मेनन मार्ग स्थित सरकारी आवास में रहने की अनुमति दी जाए। उन्होंने इसका कारण बताते हुए कहा था कि उन्हें नियमानुसार तुगलक रोड पर बंगला नंबर 14 आवंटित तो कर दिया गया है, लेकिन उस नए निवास में मरम्मत का काम चल रहा है और यह उनके परिवार के लिए अभी रहने योग्य नहीं है।
उस समय के सीजेआई संजीव खन्ना ने उनकी इस गुजारिश को मंजूरी दे दी थी। इस आधार पर, आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय (MoHUA) ने भी जस्टिस चंद्रचूड़ को 11 दिसंबर 2024 से 30 अप्रैल, 2025 तक कृष्ण मेनन मार्ग वाले बंगले में रहने की अनुमति दे दी थी, जिसके लिए उन्हें लगभग 5,000 रुपये प्रति माह का लाइसेंस शुल्क भी देना था। मंत्रालय ने 13 फरवरी के एक पत्र के माध्यम से इस मंजूरी की सूचना सर्वोच्च न्यायालय प्रशासन को दी थी।
इसके बाद, जस्टिस चंद्रचूड़ ने तब के सीजेआई खन्ना से मौखिक अनुरोध किया था कि उन्हें 31 मई तक उसी निवास में रहने की अनुमति और दी जाए। उस समय के सीजेआई ने इस अतिरिक्त एक्सटेंशन को यह कहकर मंजूरी दे दी थी कि इसके बाद कोई और एक्सटेंशन (extension) नहीं दिया जाएगा।
कोर्ट प्रशासन की चिंता और कानूनी ढांचे का उल्लंघन:
लेकिन, 1 जुलाई को सर्वोच्च न्यायालय प्रशासन द्वारा भेजे गए पत्र ने इन समय-सीमाओं और कानूनी ढांचे के उल्लंघन को प्रमुखता से उठाया। पत्र में यह भी उल्लेख किया गया है कि कृष्ण मेनन मार्ग वाला निवास पहले “विशेष परिस्थितियों” (special circumstances) के कारण ही जस्टिस चंद्रचूड़ को आवंटित करने की अनुमति दी गई थी। इस तरह का पत्र सरकार को भेजना, विशेषकर किसी पूर्व सीजेआई से संबंधित मामले में, एक बहुत ही दुर्लभ घटना मानी जा रही है।
सूत्रों के अनुसार, सरकारी हलकों में यह बात सामने आई है कि अतीत में कई पूर्व सीजेआई को सेवानिवृत्ति के बाद आवास की व्यवस्था करने तक सीमित समय, जैसे कि दो महीने, के लिए अनौपचारिक रूप से विस्तार की अनुमति दी गई है।
सरकारी सूत्रों ने यह भी पुष्ट किया है कि जस्टिस चंद्रचूड़ ने अपने पहले के संचार में सर्वोच्च न्यायालय को 5, कृष्ण मेनन मार्ग निवास से बाहर निकलने में हो रही देरी के बारे में सूचित किया था। इसका मुख्य कारण तुगलक रोड बंगले को अपने परिवार के लिए रहने योग्य बनाना था, विशेषकर अपनी दो बेटियों की विशेष जरूरतों के कारण जो एम्स (AIIMS) में इलाज करवा रही हैं।
यह भी पुष्टि हुई है कि जस्टिस चंद्रचूड़ ने अप्रैल में तत्कालीन सीजेआई खन्ना को पत्र लिखकर बताया था कि वे अपनी बेटियों की विशेष आवश्यकताओं के अनुरूप एक आवास को शॉर्टलिस्ट करने की प्रक्रिया में हैं और 30 जून तक आधिकारिक निवास खाली करने के लिए समय विस्तार का आग्रह किया था। इस पूरे मामले से सुप्रीम कोर्ट की आवास नीति और नियमों के पालन पर महत्वपूर्ण सवाल खड़े हो गए हैं।
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