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Join NowDharamshala: हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला (Dharamshala, Himachal Pradesh) में इस समय एक महत्वपूर्ण आध्यात्मिक और राजनीतिक हलचल तेज है। भारत के निर्वासन में रह रहे तिब्बती आध्यात्मिक नेता (Tibetan Spiritual Leader in Exile), 14वें दलाई लामा तेनज़िन ग्यात्सो (14th Dalai Lama Tenzin Gyatso), अपने 89वें जन्मदिन से पहले यहां तीन दिवसीय महत्वपूर्ण बैठक करने जा रहे हैं। इस बैठक में दुनिया भर से 100 बौद्ध धर्मगुरु (100 Buddhist Clergy) हिस्सा ले रहे हैं, जो तिब्बत और बौद्ध समुदाय के लिए अत्यंत अहम है। इस बैठक का मुख्य एजेंडा नए दलाई लामा की नियुक्ति (Appointment of New Dalai Lama) को लेकर चर्चा करना और संभवतः उत्तराधिकार (Succession Plan) पर कोई बड़ा फैसला लेना है। यह धर्मशाला में ऐतिहासिक बैठक (Historic Meeting in Dharamshala) तिब्बती लोगों के भविष्य के लिए निर्णायक साबित हो सकती है। 6 जुलाई को तिब्बती धर्मगुरु (Tibetan Spiritual Leader on July 6th) द्वारा इसका औपचारिक ऐलान किया जा सकता है।
2019 के बाद पहली बार इतनी बड़ी बैठक, कड़े सुरक्षा इंतजाम (Largest Gathering Since 2019, Tight Security Arrangements):
समाचार एजेंसी रॉयटर्स (Reuters News Agency) के अनुसार, यह 2019 के बाद पहली बार (First Time Since 2019) इतने बड़े पैमाने पर बौद्ध धर्मगुरुओं की बैठक का आयोजन हो रहा है, और इसे काफी गोपनीय (Highly Confidential) रखा गया है। यह दर्शाता है कि यह मामला कितना संवेदनशील और महत्वपूर्ण है। इस बैठक में कई देशों के प्रतिनिधि शामिल हो रहे हैं, और धर्मशाला में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम (Tight Security in Dharamshala) किए गए हैं। निर्वासित तिब्बती सरकार (Tibetan Government in Exile) की यह बैठक न केवल दलाई लामा के उत्तराधिकार, बल्कि तिब्बती लोगों के अधिकारों और उनके भविष्य की योजनाओं पर भी केंद्रित होगी।
दलाई लामा का पद: 11वीं सदी से शुरू हुई परंपरा (The Institution of Dalai Lama: Tradition dating back to the 11th Century)
ब्रिटानिका (Britannica Encyclopedia) के अनुसार, ‘लामा’ (Lama) शब्द का प्रयोग बौद्ध धर्म के आध्यात्मिक गुरुओं (Spiritual Teachers) के लिए किया जाता था। लेकिन 11वीं शताब्दी (11th Century) में, दलाई लामा (Dalai Lama) का पद विशेष रूप से तिब्बत के लिए बनाया गया था। शुरुआत में, यह पद केवल एक धार्मिक और श्रद्धा का प्रतीक (Symbol of Religious Reverence) था, लेकिन समय के साथ, दलाई लामा की जिम्मेदारियां (Responsibilities of Dalai Lama) बढ़ीं और वे तिब्बत के आध्यात्मिक नेता (Spiritual Leader of Tibet) होने के साथ-साथ राजनीतिक नेता (Political Leader) भी बन गए। तिब्बत के इतिहास (History of Tibet) में दलाई लामा का प्रभाव बहुत गहरा रहा है।
13वें दलाई लामा का संघर्ष और निर्वासन (13th Dalai Lama’s Struggle & Exile):
13वें दलाई लामा (13th Dalai Lama) के समय, जब किंग राजवंश (Qing Dynasty) तिब्बत पर शासन कर रहा था, उन्होंने तिब्बत से चीनी सैनिकों (Chinese Troops from Tibet) को सफलतापूर्वक खदेड़ दिया था और तिब्बत पर शासन भी किया। हालांकि, 14वें दलाई लामा (14th Dalai Lama) के आगमन के बाद, चीन ने तिब्बत में एक अलग मोर्चा खोल दिया (China Launched a Separate Campaign in Tibet)।
1960 में चीन का आक्रमण (China’s Invasion in 1960) हुआ, जिसके कारण 14वें दलाई लामा को वहां से निर्वासित (Dalai Lama Exiled) होना पड़ा। इसके बाद वे भारत में धर्मशाला आकर (Coming to Dharamshala, India) बस गए, जहां उन्होंने निर्वासित सरकार का गठन किया (Formed the Government in Exile)। यहीं से वे दुनिया भर में फैले बौद्ध धर्म के अनुयायियों (Followers of Buddhism) और तिब्बत के लोगों (People of Tibet) से जुड़े रहते हैं और उनका मार्गदर्शन करते हैं।
नए दलाई लामा की नियुक्ति को लेकर विवाद: क्या टूटेगी 385 साल पुरानी परंपरा? (Controversy Over New Dalai Lama’s Appointment: Will the 385-Year-Old Tradition Break?)
दलाई लामा की नियुक्ति (Dalai Lama Succession Process) को लेकर तिब्बती बौद्ध परंपरा (Tibetan Buddhist Tradition) के अनुसार एक विशिष्ट प्रक्रिया है। इस प्रक्रिया में तिब्बत में जन्मे उस बच्चे (Child Born in Tibet) की खोज की जाती है जिसकी आत्मा वर्तमान दलाई लामा से मिलती हो (Whose Soul Resembles the Current Dalai Lama)। यह अध्यात्मिक खोज (Spiritual Search) अक्सर कई सालों तक चलती है (Takes Many Years) और इसमें गहन अनुष्ठान और मान्यताओं का पालन किया जाता है।
हालांकि, इस बार की प्रक्रिया में बदलाव की चर्चाएं (Talks of Changes) हो रही हैं। कहा जा रहा है कि तिब्बत के बजाय भारत या अन्य इलाकों से बच्चों को खोजने (Search for Child in India or Other Regions) की बात चल रही है। यदि ऐसा होता है, तो यह लगभग 385 साल से चली आ रही पुरानी परंपरा (385-Year-Old Tradition) के टूटने का संकेत देगा, जिसने पिछले कई दलाई लामाओं को चुना है।
चीन का रुख और विवाद (China’s Stance and Controversy):
चीन (China) इस दलाई लामा की नियुक्ति प्रक्रिया (Dalai Lama Appointment Process) पर कड़ी नजर रखे हुए है और उसका कहना है कि दलाई लामा की यह नियुक्ति मान्य नहीं (Not Valid) है। बीजिंग (Beijing) ने मार्च 2026 (March 2026) में दलाई लामा को लेकर एक बयान (Statement on Dalai Lama) में कहा कि यदि तिब्बत के लोग यह स्वीकार करते हैं कि वे चीन का ही हिस्सा हैं (If Tibetans Accept They Are Part of China), तो उनसे इस मामले पर बात की जा सकती है। चीन चाहता है कि नए दलाई लामा का चयन (Selection of New Dalai Lama) उनकी देखरेख में हो, जो तिब्बत की स्वतंत्र पहचान (Independent Identity of Tibet) और उनकी आध्यात्मिक परंपराओं (Spiritual Traditions) के लिए चिंता का विषय है। यह भारत-चीन संबंधों (India-China Relations) में भी एक नया तनाव बिंदु पैदा कर सकता है। निर्वासित तिब्बती सरकार (Exiled Tibetan Government) और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय (International Community) इस स्थिति पर कड़ी नजर बनाए हुए हैं।