देश– देश मे मुस्लिम लड़कियों के विवाह को लेकर विवाद छिड़ा हुआ है। वही विभिन्न कोर्ट द्वारा धर्म के नाम पर नाबालिग लड़कियों के विवाह को वैध ठहराने वाले फैसले के खिलाफ दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है।
यह याचिका महिला आयोग द्वारा दाखिल की गई है। महिला आयोग ने याचिका में कहा है कि संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 21 के तहत उन नाबालिग मुस्लिम लड़कियों के मौलिक अधिकारों को लागू किया जाए, जिन्होंने उम्र से पहले शादी कर ली है।
आयोग ने मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत ‘विवाह योग्य उम्र’ को दंड कानूनों के अनुरूप लाने के लिए एक निर्देश देने की भी मांग की है। भारतीय ईसाई विवाह अधिनियम, 1872, पारसी विवाह और तलाक अधिनियम, 1936, विशेष विवाह अधिनियम, 1954 और हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 के तहत पुरुष के लिए विवाह की न्यूनतम आयु 21 साल और लड़की के लिए 18 साल है।
लेकिन मुस्लिम लड़कियों की शादी की न्यूनतम आयु 15 साल मानी जाती है। महिला आयोग ने कहा कि इस उम्र में लड़कियों की शादी करना मनमाना, तर्कहीन, भेदभावपूर्ण है और यह कानूनों का उल्लंघन करता है। याचिका में पॉक्सो एक्ट का भी हवाला दिया गया है जिसके तहत 18 साल से कम उम्र की लड़की के साथ यौन संबंध अवैध है. याचिका में इस तरह के इस्लामिक कानूनों को दंडात्मक कानूनों के तहत लाने की मांग की गई है।