Financial Security and Investment: इन 3 सबसे सुरक्षित बैंकों में बिना डर करें निवेश, 10 साल पुराना कॉन्सेप्ट अब लागू

Published On: June 20, 2025
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Financial Security and Investment: इन 3 सबसे सुरक्षित बैंकों में बिना डर करें निवेश, 10 साल पुराना कॉन्सेप्ट अब लागू

Financial Security and Investment: वित्तीय सुरक्षा और निवेश (Financial Security and Investment) को लेकर हर भारतीय उपभोक्ता चिंतित रहता है, खासकर यह जानने के लिए कि उसका पैसा कहाँ सबसे अधिक सुरक्षित है। इसी दिशा में, देश के केंद्रीय बैंक, भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India – RBI) ने एक महत्वपूर्ण सूची जारी की है। RBI ने “डोमेस्टिक सिस्टमैटिकली इंपॉर्टेंट बैंक्स (Domestic Systemically Important Banks – D-SIBs)” की नवीनतम सूची जारी कर दी है। इस सूची के माध्यम से आरबीआई ने साफ तौर पर उन बैंकों की पहचान की है, जिनमें आम लोगों का पैसा निवेश करना बेहद सुरक्षित माना जाता है और जिनमें किसी भी तरह का जोखिम होने पर देश की अर्थव्यवस्था पर बड़ा असर पड़ सकता है। यह खबर करोड़ों भारतीय बैंक खाताधारकों और निवेशकों (Indian Bank Account Holders and Investors) के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।

कौन से बैंक हैं सबसे सुरक्षित? (Which Banks are Safest for Investment?)

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के अनुसार, एक बार फिर तीन प्रमुख बैंकों – भारतीय स्टेट बैंक (State Bank of India – SBI)एचडीएफसी बैंक (HDFC Bank) और आईसीआईसीआई बैंक (ICICI Bank) – को डोमेस्टिक सिस्टमैटिकली इंपॉर्टेंट बैंक्स (D-SIBs) (D-SIBs in India) का दर्जा दिया गया है। आरबीआई द्वारा 13 नवंबर को जारी डी-सिब्स बैंकों की नवीनतम लिस्ट (Latest D-SIBs List by RBI) के मुताबिक, इन तीनों बैंकों को देश के वित्तीय तंत्र के लिए इतना अहम माना गया है कि इनमें कोई भी बड़ी दिक्कत आने पर पूरी अर्थव्यवस्था (Indian Economy Stability) पर व्यापक प्रभाव पड़ सकता है। पिछले साल भी इन तीनों बैंकों (Top 3 Safe Banks India) को ही यह दर्जा प्राप्त हुआ था, जो इनकी लगातार मज़बूत वित्तीय स्थिति और महत्वपूर्ण प्रणालीगत भूमिका को दर्शाता है।

डी-सिब्स (D-SIBs) लिस्ट में शामिल बैंक क्यों हैं खास? (Why D-SIBs are Important Banks?):

डी-सिब्स लिस्ट में शामिल बैंकों को घरेलू सिस्टम के लिए ‘टू बिग टू फेल’ (Too Big to Fail Banks in India) यानी ‘इतने बड़े कि डूब नहीं सकते’ माना जाता है। ये बैंक देश के सबसे सुरक्षित बैंक (Safest Banks for Deposits in India) होते हैं। यह धारणा इसलिए बनती है क्योंकि ये बैंक देश की वित्तीय स्थिरता (Financial Stability of India) के लिए इतने महत्वपूर्ण होते हैं कि यदि किसी भी कारणवश ये डूबते हैं, तो इसका पूरी अर्थव्यवस्था (Economic Shock) पर विनाशकारी झटका लग सकता है। ऐसी स्थिति में, सरकार खुद इन बैंकों को किसी भी बड़े संकट से बचाने के लिए हर संभव कोशिश करेगी, क्योंकि उनका पतन पूरे देश की बैंकिंग प्रणाली (Banking System Collapse) और जनता के भरोसे को हिला सकता है। इन बैंकों में आपका पैसा RBI गारंटी (RBI Guarantee on Deposits) के तहत 100% सुरक्षित (Money Safe in D-SIBs) माना जाता है।

RBI ने किस आधार पर तैयार की है यह लिस्ट? (How RBI Prepares D-SIBs List?):

भारतीय रिजर्व बैंक ने यह डी-सिब्स बैंकों की सूची (D-SIBs Bank List Criteria) 31 मार्च 2024 तक मिले वित्तीय आंकड़ों (Financial Data March 31, 2024) के आधार पर तैयार की है। घरेलू सिस्टम के लिए इन बैंकों को ‘अहम’ करार देने का एक प्रमुख कारण यह है कि उन्हें ‘एडीशनल कॉमन इक्विटी टियर-1 (CET1)’ (Additional Common Equity Tier-1 – CET1) बनाए रखना होता है।

यह CET1 बफर वह पूंजी है जिसके जरिए बैंक वित्तीय जोखिमों (Financial Risk Management) का प्रबंधन करते हैं और अप्रत्याशित नुकसान को सहने की क्षमता रखते हैं। डी-सिब्स की लिस्ट में शामिल बैंकों को यह अतिरिक्त CET1 (Higher CET1 Requirements for D-SIBs) अपने ‘बकेट’ (Bucket System D-SIBs) के हिसाब से अधिक मात्रा में मेंटेन करना पड़ता है। यह अतिरिक्त पूंजी यह सुनिश्चित करती है कि ये बैंक किसी भी बड़े झटके को झेलने के लिए पर्याप्त रूप से तैयार हों, जिससे वे आर्थिक संकट (Economic Crisis Resilience) में भी अपनी सेवाओं को जारी रख सकें और प्रणालीगत स्थिरता बनी रहे। यह निवेशकों और खाताधारकों (Bank Account Holders Safety) के लिए बहुत अच्छी खबर है।

D-SIBs अवधारणा कब लागू हुई? एक दशक का सफर (History of D-SIBs Concept in India):

भारतीय रिजर्व बैंक ने पहली बार घरेलू सिस्टम के लिए जरूरी बैंकों (D-SIBs Concept Launch) की इस महत्वपूर्ण लिस्ट को जारी करने की अवधारणा को 10 साल पहले, वर्ष 2014 (D-SIBs Concept Introduced in 2014) में अपनाया था। इसके बाद, 2015 (SBI First D-SIB) में भारतीय स्टेट बैंक (SBI) को इस श्रेणी में शामिल किया गया, जिससे यह पहला डी-सिब बन गया। अगले ही वर्ष, यानी 2016 (ICICI Bank D-SIB in 2016) में, आईसीआईसीआई बैंक (ICICI Bank) को भी इस सूची में रखा गया। अंततः, 2017 (HDFC Bank D-SIB in 2017) में, निजी क्षेत्र के दिग्गज एचडीएफसी बैंक (HDFC Bank) की भी इस अहम लिस्ट में एंट्री हुई। तब से ये तीनों बैंक लगातार इस सूची में बने हुए हैं।

कौन सा बैंक कौन सी ‘बकेट’ में शामिल है? नए नियम (D-SIBs Bucket Classification and New Rules):

आरबीआई (RBI Latest D-SIBs Classification) ने इस बार भारतीय स्टेट बैंक (SBI D-SIB Bucket) को ‘बकेट-4’ (Bucket 4 D-SIB) में रखा है, जिसके तहत इसे 0.80 फीसदी अतिरिक्त सीईटी1 (0.80% Additional CET1 for SBI) मेंटेन करना होगा। यह किसी भी भारतीय बैंक के लिए सबसे अधिक अतिरिक्त CET1 की आवश्यकता है।

इसके अलावा, एचडीएफसी बैंक (HDFC Bank D-SIB Bucket) भी ‘बकेट-2’ (Bucket 2 D-SIB) में बना हुआ है, और इसे 0.40 फीसदी अतिरिक्त सीईटी1 (0.40% Higher CET1 for HDFC) मेंटेन करना होता है।

आईसीआईसीआई बैंक (ICICI Bank D-SIB Bucket) को ‘बकेट-1’ (Bucket 1 D-SIB) में रखा गया है, और इसे सीईटी1 बफर में अतिरिक्त 0.20 फीसदी (0.20% Additional CET1 for ICICI) बनाए रखना होगा।
यह विशेष ‘बकेट’ प्रणाली बैंकों की वित्तीय प्रणाली में उनके महत्व और अपेक्षित पूंजी बफर को दर्शाता है। इन नए नियमों को 1 अप्रैल 2025 (New D-SIBs Rules Effective Date) से लागू किया जाना है, जिससे इन बैंकों को अपनी पूंजीगत आवश्यकताओं को समायोजित करने का पर्याप्त समय मिलेगा। इन तीनों बैंकों की यह डी-सिब्स (D-SIBs Banks India 2025) में उपस्थिति करोड़ों भारतीय उपभोक्ताओं के लिए सुरक्षा और विश्वास का प्रतीक है।

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