Uttar Pradesh News : उत्तर प्रदेश के तेजी से विकसित हो रहे क्षेत्र ग्रेटर नोएडा (Greater Noida) में स्थित बोड़ाकी रेलवे स्टेशन (Bodaki Railway Station) को अब एक “मेगा” रेलवे टर्मिनल (Mega Railway Terminal) के रूप में विकसित करने की योजना बनाई जा रही है। ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी (Greater Noida Authority) इस महत्वाकांक्षी परियोजना के तहत इस बोड़ाकी रेलवे स्टेशन (Bodaki Railway Station) को उत्तरी उत्तर प्रदेश (Northern UP) में सबसे बड़ा रेलवे टर्मिनल बनाने का लक्ष्य लेकर चल रही है।
ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी (Greater Noida Authority) का दावा है कि एक बार यह मेगा टर्मिनल (Mega Terminal) बनकर तैयार हो जाने के बाद, बिहार (Bihar), पूर्वांचल (Purvanchal), झारखंड (Jharkhand) और पश्चिम बंगाल (West Bengal) जैसे राज्यों के लिए लंबी दूरी की ट्रेनें (Long Distance Trains) सीधे इस नए रेलवे स्टेशन (Railway Station) से चलेंगी। यात्रियों के लिए यह एक बड़ी राहत होगी क्योंकि उन्हें ट्रेन पकड़ने के लिए दिल्ली या गाजियाबाद जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। इसके अलावा, आधुनिक और तेज गति वाली वंदे भारत एक्सप्रेस (Vande Bharat Express) का संचालन भी इस बोड़ाकी रेलवे टर्मिनल (Bodaki Railway Terminal) से किया जाएगा, जिससे कनेक्टिविटी और यात्रा का अनुभव बेहतर होगा।
इस ग्रेटर नोएडा रेलवे टर्मिनल (Greater Noida Railway Terminal) की एक और बड़ी खासियत यह है कि यह प्रस्तावित नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट (Noida International Airport – Jewar Airport) से सिर्फ लगभग 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित होगा। इस दूरी को लगभग 1 घंटे में पूरा किया जा सकता है। यह निकटता हवाई और रेल यात्रा के बीच एक निर्बाध कनेक्टिविटी (Seamless Connectivity) प्रदान करेगी, जो यात्रियों के लिए बेहद सुविधाजनक होगा। अधिकारियों के अनुसार, इस ग्रेनो रेलवे टर्मिनल (Greno Railway Terminal) से भविष्य में वंदे भारत एक्सप्रेस सेवा (Vande Bharat Express Service) सहित लगभग 100 ट्रेनों (100 Trains) का संचालन किया जाएगा।
हर दिन 70 हजार लोगों का आवागमन (Daily Commute of 70 Thousand People)
ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी (Greater Noida Authority) ने आधिकारिक तौर पर घोषणा की है कि बोड़ाकी को अब ग्रेटर नोएडा टर्मिनल (Greater Noida Terminal) के नाम से जाना जाएगा और इसे एक “मेगा” टर्मिनल (Mega Terminal) के रूप में नामित किया गया है। यह टर्मिनल 176 हेक्टेयर भूमि पर विकसित किए जा रहे विशाल मल्टीमॉडल ट्रांसपोर्ट हब (MMTH – MultiModal Transport Hub) परियोजना का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होगा। इस कुल क्षेत्र में से, रेलवे टर्मिनल (Railway Terminal) के लिए 46 हेक्टेयर भूमि का उपयोग किया जाएगा। इस टर्मिनल में छह प्लेटफॉर्म (Six Platforms) बनाए जाएंगे ताकि एक साथ कई ट्रेनों का संचालन हो सके। साथ ही, ट्रेनों के रखरखाव और मरम्मत (Maintenance and Repair) के लिए 63 यार्ड लाइनें (Yard Lines) भी होंगी, जो टर्मिनल की परिचालन क्षमता को बढ़ाएंगी।
इस नए बोड़ाकी रेलवे स्टेशन (Bodaki Railway Station) का डिजाइन (Design) कई स्तरों (Multiple Levels) पर आधारित होगा। ग्राउंड फ्लोर (Ground Floor) पर ट्रेनें चलेंगी और यात्रियों के लिए सुविधाएं होंगी, जबकि ऊपरी मंजिलों (Upper Floors) पर रिटेल स्पेस (Retail Space), ऑफिस (Office) और शायद होटल (Hotel) भी बनाए जाएंगे। यह इसे एक एकीकृत केंद्र (Integrated Hub) बनाएगा। ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी (Greater Noida Authority) के सीईओ ने बताया कि भारतीय रेलवे (Indian Railways) के अधिकारियों के साथ इस रेलवे टर्मिनल (Railway Terminal) परियोजना पर लगातार चर्चा चल रही है। उन्होंने कहा कि कई योजनाओं पर सहमति बन चुकी है और उन्हें अंतिम रूप दिया गया है, जबकि कुछ अन्य योजनाओं पर अभी भी चर्चा जारी है। अथॉरिटी सीईओ ने बताया कि एक बार रेलवे टर्मिनल (Railway Terminal) पूरी तरह से तैयार हो जाने के बाद, यहां से प्रतिदिन (Daily) लगभग 70 हजार यात्रियों (70 Thousand Passengers) का आवागमन होगा। उन्होंने यह भी जोड़ा कि इस नए टर्मिनल के चालू होने से दिल्ली के आनंद विहार रेलवे स्टेशन (Anand Vihar Railway Station) और गाजियाबाद रेलवे स्टेशन (Ghaziabad Railway Station) पर यात्रियों का मौजूदा भारी बोझ (Passenger Load) काफी हद तक कम हो जाएगा।
3700 करोड़ रुपये खर्च होंगे (3700 Crore Rupees will be Spent)
मल्टीमॉडल ट्रांसपोर्ट हब (MMTH – Multi Modal Transport Hub) परियोजना वास्तव में दिल्ली-मुंबई इंडस्ट्रियल कॉरिडोर (DMIC – Delhi-Mumbai Industrial Corridor) की एक शुरुआती और महत्वपूर्ण परियोजना (Early Project) है। इस पूरे हब में सिर्फ रेलवे टर्मिनल ही नहीं, बल्कि एक इंटर स्टेट बस टर्मिनल (ISBT – Inter State Bus Terminal) और मेट्रो स्टेशन (Metro Station) भी शामिल होगा। यह एकीकृत परिवहन व्यवस्था यात्रियों को मेट्रो और अन्य परिवहन साधनों (Other Transport Modes) से ग्रेटर नोएडा (Greater Noida), नोएडा (Noida) और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR – National Capital Region) के अन्य स्थानों से सीधे इस हब तक लाएगी। ग्रेटर नोएडा टर्मिनल (Greater Noida Terminal) इस मल्टीमॉडल हब के बिल्कुल केंद्र में स्थित होगा।
यह परियोजना एक पुराने स्टेशन (Old Station) का विस्तार या पुनर्विकास है। नए टर्मिनल का कुल निर्मित क्षेत्र (Built-up Area) लगभग 70,000 वर्ग मीटर (70,000 Sq. Meter) होगा। शुरुआत में, इस परियोजना की अनुमानित लागत (Estimated Cost) लगभग 1,850 करोड़ रुपये (1850 Crore Rupees) थी। हालांकि, अब इसे बनाने में लगभग 3700 करोड़ रुपये (3700 Crore Rupees) खर्च होने की आवश्यकता होगी, जो परियोजना के पैमाने और सुविधाओं में वृद्धि को दर्शाता है। यह एक बड़ा निवेश है जो क्षेत्र के विकास को गति देगा।
गाजियाबाद स्टेशन फिलहाल उत्तर प्रदेश का केंद्र है (Ghaziabad Station is currently the Center of Uttar Pradesh)
वर्तमान में, गाजियाबाद रेलवे स्टेशन (Ghaziabad Railway Station) को उत्तर प्रदेश के सबसे व्यस्त और महत्वपूर्ण रेलवे स्टेशनों में से एक माना जाता है। यहां प्रतिदिन 50,000 से अधिक लोग आते-जाते हैं, और इसकी क्षमता लगभग 200 ट्रेनों को संभालने की है। यह स्टेशन लगभग 1.5 लाख वर्ग मीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है। गाजियाबाद रेलवे स्टेशन (Ghaziabad Railway Station) पर छह प्लेटफॉर्म (Six Platforms) हैं, जिनमें से एक प्लेटफॉर्म विशेष रूप से लंबी दूरी की ट्रेनों के लिए बनाया गया है। बिहार और पूर्वांचल (Bihar and Purvanchal) के लिए भी बड़ी संख्या में ट्रेनें यहां से चलती हैं। फिलहाल, गाजियाबाद स्टेशन (Ghaziabad Station) को क्षेत्रफल और ट्रेनों की संख्या के हिसाब से उत्तर प्रदेश में सबसे बड़ा रेलवे स्टेशन माना जाता है।
मल्टीमॉडल ट्रांसपोर्ट हब (MMTH) परियोजना को दो मुख्य जोन में विभाजित किया गया है। जोन-फर्स्ट (Zone-I) लगभग 130 हेक्टेयर का क्षेत्र है। इसमें आईएसबीटी (ISBT – Inter State Bus Terminal), स्थानीय बस टर्मिनल (Local Bus Terminal), मेट्रो स्टेशन (Metro Station) और व्यावसायिक तथा औद्योगिक क्षेत्र (Commercial and Industrial Area) शामिल होंगे। जोन-सेकेंड (Zone-II) 46 हेक्टेयर का क्षेत्र है, जिसमें रेलवे टर्मिनल (Railway Terminal) और उससे संबंधित व्यावसायिक विकास (Commercial Development) शामिल होगा। अधिकारियों ने कहा कि यह एमएमटीएच (MMTH) एक भविष्य के ट्रांजिट गेटवे (Transit Gateway) के रूप में काम करेगा और यह दिल्ली में आईएसबीटी (ISBT) और आनंद विहार रेलवे स्टेशन (Anand Vihar Railway Station) जैसे मौजूदा भीड़भाड़ वाले केंद्रों पर दबाव कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
रेलवे टर्मिनल का काम जुलाई में शुरू होने की उम्मीद है (Railway Terminal Work Expected to Start in July)
मल्टीमॉडल ट्रांसपोर्ट हब (MMTH) परियोजना को दिसंबर 2024 में एक विशिष्ट रेलवे परियोजना (Specific Railway Project) घोषित किया गया था। अधिकारियों ने बताया कि इस घोषणा से रेलवे अधिनियम (Railway Act) के तहत भूमि अधिग्रहण (Land Acquisition) प्रक्रिया में तेजी आएगी। इस अधिग्रहण प्रक्रिया में लगभग दो महीने का समय लगने की उम्मीद है। एमएमटीएच (MMTH) के लिए कुल 176 हेक्टेयर भूमि में से, रेलवे की जमीन (Railway Land) ही एकमात्र ऐसा हिस्सा है जिसका अधिग्रहण (Acquisition) किया जाना अभी बाकी है। शेष अधिकांश भूमि का अधिग्रहण पहले ही पूरा हो चुका है।
प्रशासनिक और कानूनी प्रक्रियाएं (Administrative and Legal Processes) पूरी होने के बाद ही निर्माण कार्य (Construction Work) शुरू होगा। इन्हीं कारणों से, ग्रेनो टर्मिनल (Greno Terminal) यानी बोड़ाकी रेलवे स्टेशन (Bodaki Railway Station) पर निर्माण का काम जुलाई 2025 में (In July 2025) शुरू होने की उम्मीद जताई जा रही है।
इन स्टेशनों पर भीड़ (Crowd at These Stations)
वर्तमान में, पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल की ओर जाने वाली अधिकांश लंबी दूरी की ट्रेनें (Long Distance Trains) दिल्ली के नई दिल्ली रेलवे स्टेशन (New Delhi Railway Station) और आनंद विहार टर्मिनल (Anand Vihar Terminal) से ही चलती हैं। नई दिल्ली स्टेशन (New Delhi Station) से हर दिन करीब तीन सौ ट्रेनें चलती हैं, जिससे लगभग पांच लाख यात्रियों का आवागमन होता है। छुट्टियों और त्योहारों (Festivals) के दौरान यह संख्या और भी बढ़ जाती है। आनंद विहार रेलवे स्टेशन (Anand Vihar Railway Station) पर भी हर दिन करीब 250 ट्रेनें चलती हैं, और लगभग 3 लाख यात्री यहां आते हैं। त्योहारों में यहां भी यात्रियों की संख्या बढ़कर चार लाख हो जाती है। यात्रियों की अत्यधिक संख्या के कारण इन स्टेशनों पर प्लेटफॉर्म छोटे पड़ रहे हैं (Platforms are short) और नए प्लेटफॉर्म बनाने के लिए जगह की कमी है। कुछ साल पहले, आनंद विहार टर्मिनल (Anand Vihar Terminal) पर पूर्व की ओर जाने वाली कुछ ट्रेनों को स्थानांतरित (Shifted) किया गया था ताकि नई दिल्ली स्टेशन पर दबाव कम हो सके। भविष्य में, दिल्ली के बिजवासन (Bijwasan) में टर्मिनल बनने के बाद पश्चिम की ओर जाने वाली कुछ ट्रेनों को भी वहां शिफ्ट किया जाएगा। ग्रेटर नोएडा टर्मिनल (Greater Noida Terminal) बनने से विशेष रूप से पूर्वांचल और बिहार के यात्रियों को बड़ी राहत मिलेगी और वे दिल्ली-एनसीआर के अन्य स्टेशनों की भीड़ से बच सकेंगे। इस नए टर्मिनल के निर्माण से निश्चित रूप से लोग खुश होंगे और उन्हें बेहतर यात्रा सुविधा मिलेगी।