Loan EMI New Rules : अगर आप भी किसी तरह का लोन (loan) लेकर उसकी मासिक किस्त यानी ईएमआई (EMI – Equated Monthly Installment) भर रहे हैं, तो यह खबर आपके लिए एक बड़ी खुशखबरी (good news) है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI – Reserve Bank of India) ने लोन चुका रहे लोगों (loan holders) के लिए कुछ खास और राहत भरे नियम (new rules) बनाए हैं, जो 1 तारीख से लागू कर दिए गए हैं। इन नए नियमों से करोड़ों लोनधारकों (crores of borrowers) को कई तरह की परेशानियों (problems) से छुटकारा मिल सकेगा, साथ ही लोन देने वाले बैंकों (banks) और एनबीएफसी (NBFCs – Non-Banking Financial Companies) की मनमानी (arbitrariness) पर भी अब अंकुश लगेगा। आइए जानते हैं आरबीआई (RBI) के इन महत्वपूर्ण नियमों के बारे में विस्तार से इस खबर में।
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने लोन की EMI भरने वाले करोड़ों ग्राहकों को बड़ी राहत (big relief) प्रदान की है। लोन डिफॉल्ट (loan default) से जुड़े RBI के नए नियम (RBI’s new rules) इस महीने की 1 तारीख से लागू हो चुके हैं। दरअसल, लोन (loan) लेने के बाद अगर कोई ग्राहक किसी कारणवश लोन की ईएमआई (loan EMI) भरने में असमर्थ (unable to pay) हो जाता है, तो अब उसे कई तरह के अतिरिक्त चार्जेज (additional charges) और भारी जुर्माने (heavy penalty) से छुटकारा मिलेगा।
आरबीआई (RBI) ने सभी बैंकों (banks) और नॉन-बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों (NBFCs) को इन नए नियमों (new rules) को सख्ती से लागू करने के निर्देश (strict instructions) दिए हैं। इस खबर में जानिए आरबीआई के इन नए नियमों (RBI’s new guidelines) का लोनधारकों (loan holders) को कैसे और कितना लाभ (benefit) मिलेगा।
अब नहीं लगाए जाएंगे ये भारी चार्जेज (These heavy charges will not be imposed)
आरबीआई के लोन ईएमआई नियमों (Loan EMI new rules) के तहत, बैंक और नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनियां (NBFCs) अब लोन की ईएमआई (Loan EMI) भरने में देरी (delay in payment) करने वाले लोनधारकों से पेनल ब्याज (Penal Interest) नहीं ले सकेंगे। पहले कई बैंकों की ओर से ईएमआई के भुगतान में देरी (delay in EMI payment) होने पर मौजूदा ब्याज दर (existing interest rate) के ऊपर से पेनल ब्याज (Penal Charge rules) के तौर पर एक अतिरिक्त ब्याज (additional interest) वसूला जाता था, जिससे बकाया राशि (outstanding amount) तेज़ी से बढ़ जाती थी।
लेकिन ग्राहकों को यह बड़ी राहत (big relief) देते हुए, आरबीआई (RBI) ने लोनधारक पर केवल पेनाल्टी चार्ज (Penalty Charge) लगाने की अनुमति (permission) दी है। आरबीआई ने स्पष्ट किया है कि यह पेनाल्टी चार्ज (penalty charge on loan default) एक तय राशि (fixed amount) होनी चाहिए और इसे लोन की मूल राशि (loan amount) में नहीं जोड़ा जाना चाहिए। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इस पेनाल्टी चार्ज पर कोई अतिरिक्त ब्याज (additional interest) भी नहीं जोड़ा जाएगा।
इन चार्जेज से बैंक अब रिवेन्यू नहीं बढ़ा सकेंगे (Banks cannot increase revenue from these charges)
लोन डिफॉल्ट (loan default) होने पर या ईएमआई (Loan EMI) समय पर नहीं भरे जाने पर, पहले बैंक लोनधारक (loan holder) से पेनल ब्याज (Penal Interest) और पेनल चार्ज (Penal Charge) दोनों वसूलने की कोशिश करते थे। कई बैंक (bank news) इस तरह के चार्जेज लगाकर अपना रिवेन्यू (revenue) यानी आय बढ़ाने के लिए ऐसा करते थे, लेकिन अब आरबीआई के नए नियमों (new rules implemented) के लागू होने पर वे ऐसा नहीं कर पाएंगे। आरबीआई ने सख्त लहजे में कहा है कि ये नियम (EMI Rules) लोन अनुशासन (loan discipline) बनाए रखने के लिए हैं, न कि बैंकों के लिए रेवेन्यू बढ़ाने का जरिया बनने के लिए। इन चार्जेज (charges) को लेकर ग्राहकों और बैंकों के बीच विवाद (disputes) लगातार बढ़ रहे थे, इसलिए आरबीआई ने अब नियम (Loan Default Rules) बदल दिए हैं और उन्हें 1 तारीख से लागू कर दिया है।
जानिये क्या होता है पेनल चार्ज और पेनल ब्याज (Know the difference between Penal Charge and Penal Interest)
पेनल चार्ज (Penal Charge): पेनाल्टी चार्ज वास्तव में एक निश्चित (fixed) राशि (amount) होती है जो लोन (RBI rules for Loan default) की शर्तों (terms and conditions) का उल्लंघन (violation) करने पर बैंक या एनबीएफसी (NBFC) की ओर से एक बार में लगाई जाती है। जब लोन की किस्त (EMI) भरने में देरी की जाती है, तो बैंक ग्राहक से यह पेनल चार्ज (Penal Charge) वसूल सकता है। यह चार्ज लोन की मुख्य ब्याज दर (main interest rate) से बिल्कुल अलग होता है।
पेनल ब्याज (Penal Interest): पेनल ब्याज (Penal Interest) एक ऐसी अतिरिक्त ब्याज दर (additional interest rate) है जो लोन की वर्तमान ब्याज दर (current interest rate) में जोड़ दी जाती है। यह लोन के नियमों (loan rules) का उल्लंघन (violation) करने पर लगाया जाता था। लोन की ईएमआई (loan default penalty) भरने में देरी करने पर बैंक वर्तमान ब्याज दर में एक निश्चित प्रतिशत का अतिरिक्त ब्याज दर जोड़ देते थे, जिससे बकाया राशि पर लगने वाला ब्याज (interest on outstanding amount) बढ़ जाता था। यह बढ़ा हुआ ब्याज (Penal Interest on loan default) लोन की बकाया राशि पर लागू होता था, जिससे ग्राहक पर वित्तीय बोझ (financial burden) काफी बढ़ जाता था।
अब यह कहा है आरबीआई ने (What RBI has said now)
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के नए नियमों (RBI’s new rules) के अनुसार, अब बैंकों (banks) और एनबीएफसी (NBFCs) को केवल पेनल चार्ज (penal charge) ही लेना चाहिए। इसे पेनल ब्याज (penal interest) के रूप में लोन की ब्याज दर में शामिल नहीं करना चाहिए। बैंक और एनबीएफसी (Bank and NBFC) को अब यह सुनिश्चित करना होगा कि पेनल चार्ज (penal charge kya h) को ब्याज दर (interest rate) से पूरी तरह अलग रखा जाए, यानी इसे लोन की ब्याज दर (loan interest rate) में जोड़कर वसूला न जाए। यह नियम पारदर्शिता (transparency) बढ़ाने और ग्राहकों को अनुचित बोझ (undue burden) से बचाने के लिए है।