Income Tax Rule : हर कोई अपनी मेहनत की कमाई पर टैक्स बचाना (tax saving) चाहता है, और इसके लिए लोग कई तरह के कानूनी तरीके (legal ways) अपनाते हैं। हालांकि, कुछ खास तरह की इनकम (income) ऐसी भी होती है जिस पर आपको कोई इनकम टैक्स (Income Tax) नहीं देना होता। इसके लिए आपको अलग से कुछ करने की ज़रूरत नहीं होती, बस आपको इस बात की जानकारी (information) होनी चाहिए कि यह कमाई आयकर के दायरे (income tax bracket) में नहीं आती और पूरी तरह से टैक्स फ्री (tax free) है। चलिए, आइए नीचे खबर में ऐसी कुछ खास कमाईयों के बारे में विस्तार से जान लेते हैं:
1. विरासत या वसीयत में मिली दौलत (Inheritance or Wealth received through Will):
यदि आपको अपने माता-पिता (parents) या किसी अन्य रिश्तेदार से कोई भी दौलत (wealth), जेवर (jewelry) या नकदी (cash) विरासत (inheritance) में मिलती है, तो उस पर आपको कोई टैक्स (tax) नहीं देना होता है। इसी तरह, वसीयत (will) के ज़रिए मिली रकम (amount received through will) पर भी आयकर (income tax) नहीं लगता है। हालाँकि, यह ध्यान रखना ज़रूरी है कि विरासत में मिली हुई किसी भी संपत्ति (property) से होने वाली आय (income from property), जैसे किराया (rent) या ब्याज (interest), पर आपको मौजूदा आयकर नियमों (Income Tax rules) के अनुसार टैक्स देना होगा।
2. शादी में मिलने वाला उपहार (Gifts received in Marriage):
आपको अपनी शादी (marriage) के अवसर पर दोस्त या रिश्तेदारों (friends or relatives) से जो भी उपहार (gift) मिलता है, उस पर कोई टैक्स (tax) नहीं देना होता। यह शादी के गिफ्ट पर टैक्स छूट (tax exemption on marriage gifts) आयकर अधिनियम (Income Tax Act) के तहत मिलती है। महत्वपूर्ण बात यह है कि यह गिफ्ट आपको शादी के आसपास ही मिला होना चाहिए। आयकर नियमों के अनुसार, शादी के दौरान मिलने वाले उपहार पूरी तरह टैक्स फ्री होते हैं, बशर्ते उनका लेनदेन सही तरीके से हुआ हो। (यहां मूल लेख की 50 हजार रुपये वाली लाइन शामिल नहीं की गई है क्योंकि यह शादी के गिफ्ट के संदर्भ में सटीक नहीं है और भ्रम पैदा करती है, जबकि मुख्य बिंदु यह है कि शादी के गिफ्ट टैक्स फ्री होते हैं)।
3. पार्टनरशिप फर्म से मिला मुनाफा (Share of Profit from Partnership Firm):
अगर आप किसी पार्टनरशिप फर्म (partnership firm) में साझीदार (partner) हैं और आपको फर्म के मुनाफे (profit) से शेयर ऑफ प्रॉफिट (share of profit) के तौर पर कोई रकम मिलती है, तो उस पर भी आपको टैक्स नहीं देना होगा। इसका कारण यह है कि इस मुनाफे पर आपकी पार्टनरशिप वाली फर्म पहले ही अपना इनकम टैक्स (Income Tax) चुका चुकी होती है। यह छूट केवल फर्म के मुनाफे से मिलने वाले हिस्से पर है। यदि आपको फर्म से सैलरी (salary) मिलती है, तो वह आपकी इनकम मानी जाएगी और उस पर आपको नियमानुसार टैक्स (tax) देना होगा।
4. जीवन बीमा क्लेम या मैच्योरिटी वाली रकम (Life Insurance Claim or Maturity Amount):
जीवन बीमा पॉलिसी (life insurance policy) से मिलने वाली क्लेम राशि (claim amount) (जैसे मृत्यु पर मिलने वाला पैसा) या मैच्योरिटी राशि (maturity amount) (पॉलिसी पूरी होने पर मिलने वाला पैसा) आयकर अधिनियम की धारा 10(10D) (Section 10(10D) of Income Tax Act) के तहत पूरी तरह से टैक्स फ्री (tax free) होती है। हालाँकि, इस छूट (exemption) का फायदा उठाने के लिए एक शर्त है: पॉलिसी का सालाना प्रीमियम (annual premium) सम एश्योर्ड (sum assured) यानी बीमित राशि के 10% से अधिक नहीं होना चाहिए। यदि प्रीमियम इस सीमा से अधिक होता है, तो अतिरिक्त प्रीमियम के अनुपात में मिलने वाली राशि पर टैक्स (tax) लगता है। कुछ विशेष परिस्थितियों में, जैसे 1 अप्रैल 2012 से पहले जारी की गई पॉलिसी या गंभीर बीमारी के मामलों में, यह छूट सीमा 15% तक हो सकती है।
5. शेयर या इक्विटी MF से मिला रिटर्न (Return from Shares or Equity Mutual Funds):
शेयर बाजार (share market) में निवेश (investment) या इक्विटी म्यूचुअल फंड (equity mutual fund) की यूनिट्स बेचने पर होने वाला लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (LTCG – Long Term Capital Gain) यानी लंबी अवधि का पूंजीगत लाभ ₹1 लाख तक टैक्स-फ्री (tax free up to ₹1 lakh) होता है। यह रिटर्न LTCG के तहत कैलकुलेट (calculate) किया जाता है। ₹1 लाख से अधिक के LTCG पर वर्तमान में 10% की दर से टैक्स लगता है (इंडेक्सेशन के लाभ के बिना)। शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन (STCG – Short Term Capital Gain) पर अलग नियम लागू होते हैं। इस तरह, छोटे निवेशकों के लिए शेयर बाजार से होने वाला ₹1 लाख तक का सालाना मुनाफा टैक्स के दायरे से बाहर है।
इन आयकर नियमों (Income Tax rules) को जानकर आप अपनी वित्तीय योजना (financial planning) बेहतर तरीके से बना सकते हैं और यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि आप उन कमाईयों पर टैक्स न दें जिन पर कानूनन छूट (legal exemption) प्राप्त है।