Live breaking news up : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने साफ शब्दों में कहा है कि शिक्षा को केवल किताबी ज्ञान या नंबरों तक सीमित नहीं रखना चाहिए। उनका मानना है कि जब हम शिक्षा को अपने संस्कारों और राष्ट्र के मूल्यों से जोड़ते हैं, तभी सही मायने में ‘विकसित भारत’ की मजबूत नींव रख पाएंगे। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि ‘नेशन फर्स्ट’ यानी ‘राष्ट्र प्रथम’ हम सभी का पहला लक्ष्य और जीवन का मंत्र होना चाहिए। ये सिर्फ हमारे सैनिकों या देश चलाने वालों की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि हर नागरिक की है। सीएम योगी ने चिंता जताते हुए कहा कि जब हमारी युवा पीढ़ी के मन में राष्ट्र के प्रति सम्मान और श्रद्धा कम होती है, तो ऐसे में ही देशविरोधी सोच या विचार सिर उठाने लगते हैं।
मुख्यमंत्री शनिवार को लखनऊ में आयोजित एक ‘शिक्षक धन्यवाद समारोह’ में शामिल हुए थे। इस खास मौके पर उन्होंने सबसे पहले आईसीएसई बोर्ड की 10वीं-12वीं की परीक्षा में टॉप करने वाले छात्र-छात्राओं और जेईई मेन के टॉपर विद्यार्थियों को सम्मानित किया। इसके बाद उन्होंने शिक्षकों का भी सम्मान किया।
अपने संबोधन के दौरान, सीएम योगी ने दोहराया कि आज हम शिक्षा को सिर्फ अच्छे नंबर लाने का जरिया मान बैठे हैं, जबकि ऐसा नहीं होना चाहिए। उनके मुताबिक, पढ़ाई को हमारे नैतिक मूल्यों, अच्छे संस्कारों और ‘राष्ट्र प्रथम’ की भावना से जोड़ना बेहद ज़रूरी है। उन्होंने कहा कि हम अक्सर शिक्षा का असली मकसद भूल जाते हैं, जो कि सिर्फ परीक्षा पास करना नहीं, बल्कि एक ऐसे जीवन का निर्माण करना है जो हमारे देश के लिए उपयोगी साबित हो और समाज के लिए प्रेरणा बन सके। मुख्यमंत्री ने फिर इस बात पर जोर दिया कि सही मायने में ‘विकसित भारत’ की नींव तभी रखी जा सकती है जब शिक्षा को संस्कारों और राष्ट्रीय मूल्यों से सींचा जाए।
सीएम ने आगे कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस ‘विकसित भारत’ का सपना देशवासियों को दिखाया है, उसे साकार करने में शिक्षा और ख़ास तौर पर शिक्षकों की भूमिका सबसे अहम है। शिक्षक ही तो वो पीढ़ी तैयार कर रहे हैं जो आने वाले कल में सिर्फ पढ़ाई-लिखाई में ही बेहतरीन नहीं होगी, बल्कि उनका चरित्र भी मज़बूत होगा और वे नैतिक रूप से भी दृढ़ होंगे। उन्होंने ‘विकसित भारत’ की परिभाषा समझाते हुए कहा कि ये एक ऐसा देश होगा जहां हर नागरिक सुरक्षित महसूस करेगा, समृद्ध होगा और पूरी तरह आत्मनिर्भर बनेगा।
मुख्यमंत्री योगी ने अपने भाषण में हमारी प्राचीन वैदिक परंपराओं का भी ज़िक्र किया। उन्होंने बताया कि हमारा वैदिक उद्घोष ‘माता भूमि: पुत्रोऽहं पृथिव्या:’ यानी ‘भूमि हमारी माता है और हम पृथ्वी के पुत्र हैं’ रहा है। उनका कहना था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसी भावना को ‘नेशन फर्स्ट’ यानी ‘राष्ट्र प्रथम’ के सिद्धांत के तौर पर फिर से दोहरा रहे हैं। सीएम ने सभी से आग्रह किया कि हमें भी इसी भावना और सिद्धांत के साथ अपने जीवन के हर क्षेत्र में काम करना चाहिए। उन्होंने साफ किया कि यह केवल देश के नेताओं, सेना के जवानों या प्रशासनिक अधिकारियों की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि इसमें शिक्षकों की भी उतनी ही महत्वपूर्ण भूमिका है।
सीएम योगी ने सोशल मीडिया के गलत इस्तेमाल पर भी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि जब युवाओं के मन में राष्ट्र के प्रति सम्मान या श्रद्धा कम हो जाती है, तो इसका फायदा उठाकर ही देश विरोधी ताकतें अपनी सोच फैलाने लगती हैं। इसलिए, शिक्षकों का यह बड़ा उत्तरदायित्व बनता है कि वे बच्चों को सिर्फ किताबें न पढ़ाएं, बल्कि उनके भीतर देश प्रेम, देशभक्ति की भावना और अच्छे नैतिक मूल्यों को भी सींचें।