8th Pay Commission Salary : केंद्र सरकार द्वारा जल्द ही आठवें वेतन आयोग (8th Pay Commission) का गठन होने की उम्मीद है, और इसके साथ ही केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के बीच फिटमेंट फैक्टर (Fitment Factor) को लेकर उत्सुकता चरम पर है। यह फिटमेंट फैक्टर ही वो पैमाना है जो कर्मचारियों के मूल वेतन (Basic Pay) में होने वाली बढ़ोतरी का आधार बनता है।
एक ताजा चर्चा और कुछ रिपोर्ट्स की मानें तो, भले ही आठवें वेतन आयोग में फिटमेंट फैक्टर बढ़ाकर 2.86 कर दिया जाए, लेकिन शायद इससे सरकारी कर्मचारियों की सैलरी में उतनी बड़ी और सीधी बढ़ोतरी न दिखे, जितनी की उम्मीद की जा रही है। आखिर इसके पीछे क्या कारण है? आइए, इस खबर में विस्तार से समझते हैं।
फिटमेंट फैक्टर: लाखों कर्मचारियों के लिए क्यों है इतना अहम?
मोदी सरकार द्वारा 8वें वेतन आयोग की चर्चा शुरू होने के बाद से, करीब 1.2 करोड़ केंद्रीय कर्मचारी और पेंशनर्स बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। वे जानना चाहते हैं कि नया वेतन आयोग क्या फिटमेंट फैक्टर तय करेगा और इसका सीधा असर उनके वेतन और पेंशन वृद्धि पर कैसे पड़ेगा। फिटमेंट फैक्टर दरअसल एक ऐसा गुणांक होता है जिसका इस्तेमाल मौजूदा मूल वेतन को नए वेतनमान में ले जाने के लिए किया जाता है।
8वें वेतन आयोग का ToR जल्द होने की उम्मीद
सूत्रों के मुताबिक, केंद्र सरकार जल्द ही आठवें वेतन आयोग के लिए ‘संदर्भ की शर्तें’ (Terms of Reference – ToR) जारी कर सकती है। ToR तय होने के बाद ही आयोग के अध्यक्ष और प्रमुख सदस्यों की नियुक्ति की जाएगी। पिछले महीने ही वित्त मंत्रालय ने 8वें वेतन आयोग में विभिन्न 40 पदों पर नियुक्तियों के लिए सर्कुलर जारी किया था। मंत्रालय ने साफ किया था कि इनमें से ज्यादातर पद प्रतिनियुक्ति (Deputation) के आधार पर भरे जाएंगे। यह संकेत है कि आयोग जल्द ही अपना काम शुरू कर सकता है।
क्या पूरी हो पाएगी 2.86 फिटमेंट फैक्टर की मांग?
कई कर्मचारी संगठन पुरजोर मांग कर रहे हैं कि 8वें वेतन आयोग में फिटमेंट फैक्टर 2.86 रखा जाए। उनका तर्क है कि इससे कर्मचारियों के मौजूदा वेतन और पेंशन में अच्छी-खासी बढ़ोतरी हो सकेगी। हालांकि, सरकार के लिए इस मांग को मानना इतना आसान नहीं लग रहा है। पूर्व वित्त सचिव सुभाष गर्ग जैसे विशेषज्ञ मानते हैं कि 2.86 का इतना बड़ा इजाफा शायद संभव न हो। कई अन्य जानकारों का भी मानना है कि 8वें वेतन आयोग में फिटमेंट फैक्टर करीब 1.92 के आसपास रह सकता है।
फिटमेंट फैक्टर चाहे 2.86 हो या 1.92, असल में कितना बढ़ेगा वेतन?
यहां सबसे महत्वपूर्ण सवाल यही है कि फिटमेंट फैक्टर चाहे 2.86 हो या 1.92 तय हो, इसका कर्मचारियों के वास्तविक वेतन पर कितना असर पड़ेगा? इसे समझने के लिए यह जानना जरूरी है कि फिटमेंट फैक्टर केवल मूल वेतन (Basic Pay) पर लागू होता है, न कि कुल सैलरी पर।
यदि फिटमेंट फैक्टर 1.92 तय होता है, तो न्यूनतम मूल वेतन बढ़कर ₹34,560 तक पहुंच सकता है। यह आंकड़ा सुनने में तो काफी बड़ा लगता है, लेकिन एक्सपर्ट्स बताते हैं कि इस बढ़ोतरी का एक बड़ा हिस्सा केंद्रीय कर्मचारियों के महंगाई भत्ते (Dearness Allowance – DA) और पेंशनर्स की महंगाई राहत (Dearness Relief – DR) को समायोजित (adjust) करने में चला जाता है। इसका मतलब है कि Fitment Factor से जो ग्रॉस सैलरी बढ़ती है, उसका एक significant portion पहले से मिल रहे DA/DR को absorbed कर लेता है। नतीजतन, कर्मचारियों के हाथ में आने वाली वास्तविक बढ़ोतरी (net increase) उम्मीद से काफी कम हो जाती है।
पिछले वेतन आयोगों का अनुभव क्या रहा?
पिछले वेतन आयोगों के ट्रैक रिकॉर्ड से भी यही बात साफ होती है:
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छठा वेतन आयोग (2006): इसमें फिटमेंट फैक्टर 1.86 था। इसके बावजूद, कर्मचारियों के कुल वेतन में वास्तविक बढ़ोतरी लगभग 54% हुई थी।
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सातवां वेतन आयोग (2016): इसमें फिटमेंट फैक्टर बढ़ाकर 2.57 कर दिया गया था। लेकिन, आश्चर्यजनक रूप से, वास्तविक सैलरी वृद्धि केवल 14.2% ही रही।
यह अंतर इस वजह से आया क्योंकि 7वें वेतन आयोग में Fitment Factor से होने वाली अधिकांश बढ़ोतरी DA और DR को एडजस्ट करने में ही खर्च हो गई। सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने से सरकार पर ₹1.02 लाख करोड़ रुपये का अतिरिक्त वित्तीय बोझ पड़ा था।
कर्मचारियों की उम्मीदें और सरकार की तैयारी
फिलहाल, लगभग 47 लाख केंद्रीय कर्मचारी और करीब 65 लाख पेंशनर्स 8वें वेतन आयोग का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। वे चाहते हैं कि सरकार जल्द से जल्द ToR को अंतिम रूप देकर आयोग के सदस्यों की नियुक्ति करे, ताकि आयोग अपना काम शुरू कर सके और इसकी सिफारिशें तय समय पर यानी 1 जनवरी 2026 से लागू हो सकें। नियमानुसार, सातवें वेतन आयोग का कार्यकाल 31 दिसंबर 2025 को समाप्त हो जाएगा, जिसके बाद 8वें वेतन आयोग को प्रभावी होना है।