Income Tax : क्या आप भी अपने सेविंग अकाउंट (Saving Account) यानी बचत खाते का इस्तेमाल पैसों के लेन-देन के लिए करते हैं? अगर हाँ, तो ये जानना आपके लिए बेहद ज़रूरी है कि आप एक लिमिट से ज़्यादा कैश जमा या निकाल नहीं सकते, वरना इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की नज़र आप पर पड़ सकती है और आपको नोटिस भी आ सकता है। आइए समझते हैं कि आखिर कितनी है ये लिमिट और क्या हैं नियम, ताकि आप बेवजह की परेशानी से बच सकें।
सालाना 10 लाख रुपये की ‘लक्ष्मी रेखा’ – इसे पार न करें!
इनकम टैक्स के झंझटों से दूर रहना चाहते हैं? तो इस सुनहरे नियम को गांठ बांध लें! पर्सनल फाइनेंस एक्सपर्ट्स की सलाह है कि एक वित्तीय वर्ष (Financial Year) यानी 1 अप्रैल से 31 मार्च तक की अवधि में, अपने सभी सेविंग अकाउंट्स को मिलाकर कुल 10 लाख रुपये से ज़्यादा कैश न तो जमा करें और न ही निकालें।
जी हाँ, यह लिमिट सिर्फ एक खाते के लिए नहीं, बल्कि आपके नाम पर मौजूद सभी बचत खातों पर एक साथ लागू होती है। अगर आप जाने-अनजाने में इस 10 लाख की सीमा को लांघ जाते हैं, तो आपका बैंक इसकी जानकारी सीधे इनकम टैक्स विभाग को भेज सकता है। इसके बाद विभाग आपसे इस बड़े कैश लेन-देन के सोर्स (स्रोत) के बारे में पूछताछ कर सकता है।
एक दिन में 2 लाख कैश ‘लेने’ पर भी है रोक!
एक और महत्वपूर्ण नियम है इनकम टैक्स कानून की धारा 269ST का। इसके अनुसार, आप किसी एक व्यक्ति से, एक ही दिन में, या किसी एक ही अवसर/लेन-देन से जुड़े मामले में कुल मिलाकर 2 लाख रुपये या उससे ज़्यादा कैश में प्राप्त नहीं कर सकते (ले नहीं सकते)। यह नियम लोन, एडवांस, गिफ्ट या किसी भी अन्य तरह की नकद प्राप्ति पर लागू होता है।
रोज़ाना 50,000 रुपये से ज़्यादा जमा करने पर PAN है ज़रूरी!
याद रखें, अगर आप एक दिन में अपने खाते में 50,000 रुपये से ज़्यादा कैश जमा करते हैं, तो आपको अपना पैन कार्ड (PAN Card) नंबर देना अनिवार्य है। अगर आपके पास पैन कार्ड नहीं है, तो आपको फॉर्म 60/61 भरकर जमा करना होगा। यह नियम भी कैश के बड़े लेन-देन पर नज़र रखने के लिए बनाया गया है।
बैंक क्यों देते हैं इनकम टैक्स विभाग को जानकारी? (हाई-वैल्यू ट्रांजैक्शन)
जब आप तय लिमिट से ज़्यादा कैश लेन-देन करते हैं, तो बैंक इसे ‘हाई-वैल्यू ट्रांजैक्शन’ (High-Value Transaction) यानी उच्च मूल्य का लेन-देन मानते हैं। Tax2win के सीईओ अभिषेक सोनी के अनुसार, इनकम टैक्स एक्ट 1962 की धारा 114B के तहत बैंकों और वित्तीय संस्थानों के लिए यह अनिवार्य है कि वे ऐसे बड़े लेन-देन की जानकारी इनकम टैक्स विभाग को दें। इसका मुख्य उद्देश्य काले धन (Black Money) और टैक्स चोरी को रोकना है।
अगर इनकम टैक्स का नोटिस आ जाए तो क्या करें? घबराएं नहीं!
मान लीजिए, किसी कारणवश आपको ज़्यादा कैश लेन-देन के लिए इनकम टैक्स विभाग से नोटिस मिल ही जाता है, तो सबसे पहले घबराने की बिल्कुल ज़रूरत नहीं है। आपको बस शांति से यह साबित करना होगा कि आपके पास यह पैसा कहाँ से आया और यह वैध है।
इसके लिए पक्के सबूत (Solid Proof) तैयार रखें, जैसे:
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बैंक स्टेटमेंट (Bank Statement): जिसमें लेन-देन साफ दिखे।
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आय का प्रमाण (Income Proof): सैलरी स्लिप, बिजनेस रिकॉर्ड्स आदि।
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निवेश के दस्तावेज़ (Investment Records): अगर पैसा निवेश तोड़कर आया है।
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संपत्ति बिक्री के कागज़ात (Property Sale Documents): अगर कोई ज़मीन, मकान बेचा है।
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विरासत या गिफ्ट के दस्तावेज़ (Inheritance/Gift Documents): अगर पैसा विरासत या तोहफे में मिला है (नियमों के तहत)।
अगर आपको समझ नहीं आ रहा है कि नोटिस का जवाब कैसे दें या आप पैसों के सोर्स को लेकर थोड़े चिंतित हैं, तो बिना देर किए किसी अच्छे टैक्स सलाहकार (Tax Consultant) या चार्टर्ड अकाउंटेंट (CA) से संपर्क करें। वे आपको सही सलाह देंगे और नोटिस का उचित जवाब तैयार करने में आपकी मदद करेंगे।
मुख्य बातें याद रखें:
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सालाना लिमिट: सभी सेविंग अकाउंट मिलाकर ₹10 लाख (जमा + निकासी)।
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दैनिक प्राप्ति लिमिट: एक व्यक्ति/लेनदेन से ₹2 लाख कैश लेना मना।
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दैनिक जमा पर: ₹50,000 से ज़्यादा कैश जमा पर PAN अनिवार्य।