UP Highway News: उत्तर प्रदेश वासियों, खासकर कानपुर, फतेहपुर और हमीरपुर के लोगों के लिए एक बड़ी और राहत भरी खबर है! अब कानपुर से हमीरपुर तक का सफर न सिर्फ तेज होगा, बल्कि बेहद सुरक्षित और आरामदायक भी बनेगा। केंद्र सरकार के सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने रमईपुर (कानपुर) से हमीरपुर तक 112 किलोमीटर लंबे, शानदार फोरलेन हाईवे के निर्माण को हरी झंडी दे दी है।
यह महत्वाकांक्षी परियोजना इन जिलों के बीच कनेक्टिविटी को नई उड़ान देगी और विकास के नए रास्ते खोलेगी। इस प्रोजेक्ट की अनुमानित लागत लगभग ₹3700 करोड़ है, जो उत्तर प्रदेश के इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण निवेश है।
क्यों जरूरी है यह हाईवे? जाम और हादसों से मिलेगी मुक्ति!
जो लोग मौजूदा नौबस्ता-हमीरपुर-कबरई मार्ग का इस्तेमाल करते हैं, वे सड़क की खस्ता हालत, आए दिन होने वाले हादसों और घंटों लंबे जाम से अच्छी तरह वाकिफ हैं। इस रूट पर रोजाना करीब 40,000 ट्रक और डंपर गिट्टी-मौरंग लेकर कानपुर, लखनऊ, सीतापुर, गोंडा, बहराइच, अयोध्या और लखीमपुर समेत कई जिलों तक जाते हैं, जिससे यातायात का दबाव बहुत ज्यादा रहता है और आम लोगों का सफर दूभर हो जाता है। इसी समस्या को देखते हुए सांसद श्री देवेंद्र सिंह भोले ने एक समानांतर हाईवे का प्रस्ताव रखा था, जो अब साकार होने जा रहा है।
प्रोजेक्ट का विवरण: 96 गांवों से गुजरेगा रास्ता
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लंबाई: 112 किलोमीटर
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लेन: फोरलेन (4-लेन)
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रूट: रमईपुर (कानपुर) से शुरू होकर फतेहपुर और हमीरपुर जिलों से होते हुए कबरई-छतरपुर हाईवे से जुड़ेगा।
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निर्माण एजेंसी: भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI)
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कुल लागत: लगभग ₹3700 करोड़
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भूमि अधिग्रहण लागत: लगभग ₹2000 करोड़ (कुल लागत का बड़ा हिस्सा)
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आवश्यक भूमि: करीब 700 हेक्टेयर
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प्रभावित गांव: कानपुर, फतेहपुर और हमीरपुर जिलों के कुल 96 गांव।
जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू
मंत्रालय से मंजूरी मिलने के बाद NHAI ने तेजी से काम शुरू कर दिया है।
NHAI के परियोजना निदेशक, श्री अमन रोहिल्ला ने बताया कि जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। इसके लिए तीनों जिलों (कानपुर, फतेहपुर, हमीरपुर) के राजस्व अधिकारियों से संपर्क साधकर 96 गांवों की निर्धारित गाटा संख्याओं (जमीन के विशिष्ट पहचान नंबर) की पहचान की जा रही है।
इसके साथ ही, परियोजना के लिए वन विभाग से जरूरी अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) लेने की प्रक्रिया भी चल रही है। अनुमान है कि जमीन अधिग्रहण पर ही करीब ₹2000 करोड़ रुपये खर्च होंगे, जिससे प्रभावित किसानों को उचित मुआवजा मिल सकेगा। जल्द ही जमीन अधिग्रहण का काम धरातल पर दिखने लगेगा।
क्या होंगे फायदे?
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कानपुर-हमीरपुर के बीच यात्रा का समय काफी कम होगा।
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सुरक्षित और आरामदायक सफर सुनिश्चित होगा।
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भारी वाहनों के लिए सुगम मार्ग मिलेगा, जिससे मौजूदा सड़क पर दबाव कम होगा।
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व्यापार और परिवहन को बढ़ावा मिलेगा।
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स्थानीय अर्थव्यवस्था मजबूत होगी और रोजगार के अवसर पैदा होंगे।
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क्षेत्रीय कनेक्टिविटी बेहतर होगी।