डेस्क। India Germany LNG Gas Conflict: भारत और जर्मनी के बीच नेचुरल एलएनजी गैस को लेकर बढ़ा झगड़ा अब दोनों ही देशों के बीच के डिप्लोमेटिक तनाव में बदल चुका है और जल्द ही इसका गंभीर असर भी दिखने की आशंका दिखाई दे रही है।
वहीं इससे पहले से ही भारी ऊर्जा संकट से जूझ रहे यूरोप की वजह से पूरी दुनिया के विकास पर भी असर पड़ रहा है। साथ ही दोनों देशों के बीच चल रहे इस झगड़े से परिचित अधिकारियों के मुताबिक, इस तनाव का आगाज उस वक्त हुआ है, जब जर्मनी ने नेचुरल लिक्विड गैस की आपूर्ति भारत को कम कर दे दी है और फिर भारत की तरफ से सख्त उत्तर भी दिया गया है।
आपको बता दें इस मामले से परिचित अधिकारियों के मुताबिक, जर्मनी सरकार द्वारा समर्थिक गैस कंपनी ने भारत को नेचुरल गैस की आपूर्ति भी कम कर दी है, जिसके बाद पनपे इस विवाद के बीच दोनों देशों के डिप्लोमेट्स के बीच बातचीत के जरिए विवाद का हल करने की अपील जारी है। वहीं इस मामले से परिचित अधिकारी ने नाम नहीं बताने की शर्त पर कहा है कि, अब भारत ने आपूर्ति में कटौती का गैप भरने के लिए रूस के साथ बातचीत भी शुरू कर दी है, वहीं अभी तक ये मामला प्राइवेट ही रखा गया है।
जानिए मामला क्या हैं?
जर्मनी की सिक्योरिंग एनर्जी फॉर यूरोप GmbH भारतीय कंपनी गेल इंडिया लिमिटेड को गैस की आपूर्ति देता है, वहीं इस साल मई महीने के बाद से ही गैस की आपूर्ति में कमी भी आने लगी है। साथ ही जर्मनी का कहना है, कि रूस पर लगाए गये प्रतिबंधों की वजह से जर्मनी की गैस कंपनी के लिए रूस से गैस कार्गो प्राप्त करना असंभव हो चुका है।
इस कड़ी में अगर इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट देखे तो एक सूत्र ने बताया कि, इस व्यवघान के बीच भारत सुझाव दे रहा है, कि जर्मन कंपनी को भारतीय कंपनी के साथ किए गये कॉन्ट्रैक्ट को पूरा करने के लिए अपने पोर्टफोलियो से वैकल्पिक आपूर्ति भी करनी चाहिए, लेकिन जर्मनी इसके लिए कभी भीं तैयार नहीं है।