Income Tax : घर खरीदना या बेचना ज़िंदगी के बड़े फैसलों में से एक होता है, जिसमें अच्छी-खासी रक़म लगती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि प्रॉपर्टी के सौदों पर टैक्स के भी कुछ नियम लागू होते हैं? जी हाँ, और हाल ही में सरकार ने प्रॉपर्टी की खरीद-फरोख्त पर लगने वाले TDS (Tax Deducted at Source – यानी स्रोत पर टैक्स कटौती) के नियमों में एक अहम बदलाव किया है।
अगर आप भी प्रॉपर्टी खरीदने या बेचने की सोच रहे हैं, तो अब आपको ज़्यादा सावधान रहने की ज़रूरत है। कहीं ऐसा न हो कि जानकारी के अभाव में आपको बाद में परेशानी झेलनी पड़े या जुर्माना भरना पड़े! आइए, आसान भाषा में समझते हैं कि TDS के ये नए नियम क्या हैं और इनका आप पर क्या असर पड़ेगा।
क्यों बदले गए नियम? क्या था पुराना तरीका?
पहले होता ये था कि अगर कोई प्रॉपर्टी 50 लाख रुपये से ज़्यादा की होती थी, तो खरीदार को पेमेंट करते समय 1% TDS काटकर सरकार के पास जमा कराना होता था।
लेकिन इसमें एक पेंच था! अगर प्रॉपर्टी के मालिक एक से ज़्यादा थे (संयुक्त मालिक) और हर एक का हिस्सा 50 लाख रुपये से कम होता था, तो कई बार खरीदार TDS नहीं काटते थे। भले ही प्रॉपर्टी की कुल कीमत 50 लाख से कहीं ज़्यादा क्यों न हो, इस नियम की वजह से टैक्स की कटौती नहीं हो पाती थी। सरकार को लगता था कि इस वजह से टैक्स चोरी हो रही है।
अब क्या है नया नियम? (सबसे बड़ा बदलाव)
सरकार ने टैक्स चोरी रोकने और नियमों को साफ करने के लिए इस पुराने तरीके को बदल दिया है। फाइनेंस एक्ट में बदलाव करके अब यह तय किया गया है:
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अब हिस्सेदारी नहीं, पूरी कीमत देखी जाएगी: अगर प्रॉपर्टी का कुल सौदा (Total Sale Value) 50 लाख रुपये से ज़्यादा है, तो खरीदार को पूरी रकम पर 1% TDS काटना ही होगा।
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मालिक कितने भी हों, नियम यही रहेगा: इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि प्रॉपर्टी का मालिक एक है या कई (संयुक्त मालिक)। अगर कुल कीमत 50 लाख पार हुई, तो TDS कटेगा।
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कब से लागू? यह नियम नए वित्तीय वर्ष (जैसे 1 अप्रैल 2024 से शुरू होने वाले वर्ष) से लागू हो गया है। (नोट: मूल लेख में 2025-26 लिखा था, लेकिन आमतौर पर बजट के बदलाव अगले वित्तीय वर्ष से लागू होते हैं, कृपया सटीक लागू होने की तारीख कन्फर्म कर लें)
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खेती की जमीन पर छूट: यह नियम खेती की ज़मीन (Agricultural Land) पर लागू नहीं होगा।
खरीदते-बेचते समय इन बातों का रखें ख़ास ध्यान:
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PAN कार्ड ज़रूरी: खरीदार को हमेशा विक्रेता का पैन कार्ड (PAN Card) लेना चाहिए। अगर विक्रेता पैन कार्ड नहीं देता है, तो TDS 1% की जगह सीधे 20% कटेगा! और विक्रेता इस ज़्यादा कटे हुए टैक्स का क्रेडिट भी नहीं ले पाएगा।
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फॉर्म भरना न भूलें:
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खरीदार: TDS काटने के बाद, जिस महीने में टैक्स काटा है, उसके 30 दिनों के अंदर फॉर्म 26QB भरकर टैक्स जमा करना होगा।
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विक्रेता: खरीदार के फॉर्म 26QB भरने के 15 दिनों के अंदर विक्रेता को फॉर्म 16B (TDS सर्टिफिकेट) मिल जाना चाहिए।
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अगर विक्रेता NRI है: यदि प्रॉपर्टी बेचने वाला नॉन-रेजिडेंट इंडियन (NRI) है, तो TDS की दरें अलग और ज़्यादा (जैसे 20% + सरचार्ज + सेस) हो सकती हैं।
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कम या ज़ीरो TDS: अगर विक्रेता की आय कम है और उस पर टैक्स देनदारी नहीं बनती, तो वह इनकम टैक्स एक्ट की धारा 197 के तहत कम या शून्य TDS के लिए सर्टिफिकेट अप्लाई कर सकता है। अप्रूवल मिलने पर खरीदार कम या बिना TDS काटे पेमेंट कर सकता है।
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TAN नंबर: खरीदार को TDS काटने और जमा करने के लिए TAN (Tax Deduction and Collection Account Number) की आवश्यकता हो सकती है (विशेषकर यदि खरीदार कंपनी या फर्म है)।
क्यों ज़रूरी है यह बदलाव?
सरकार का मकसद प्रॉपर्टी सौदों में पारदर्शिता लाना और टैक्स चोरी को रोकना है। इन नियमों से यह सुनिश्चित होगा कि बड़ी कीमत वाले सौदों पर सही टैक्स जमा हो। “टैक्स भरो, देश बनाओ” की सोच को आगे बढ़ाने के लिए यह कदम उठाया गया है।
प्रॉपर्टी खरीदना या बेचना अब पहले से ज़्यादा ध्यान देने वाला काम हो गया है। TDS के इन नए नियमों को नज़रअंदाज़ करना आपको महंगा पड़ सकता है। इसलिए, कोई भी सौदा करने से पहले इन नियमों को अच्छी तरह समझ लें और ज़रूरत पड़े तो किसी टैक्स एक्सपर्ट या चार्टर्ड अकाउंटेंट (CA) की सलाह ज़रूर लें। सावधानी बरतेंगे तो भविष्य की परेशानियों से बचेंगे!