Home loan EMI : अपना घर होना हर किसी का सपना होता है, और इस सपने को हकीकत बनाने में होम लोन एक बड़ा मददगार साबित होता है। लेकिन लोन लेने के बाद हर महीने आने वाली EMI (मासिक किस्त) कई बार बजट बिगाड़ देती है और बोझ लगने लगती है। अगर आप भी होम लोन की भारी किस्तों से परेशान हैं, या भविष्य में लोन लेने की सोच रहे हैं, तो यह खबर आपके लिए ही है! हम आपको बता रहे हैं 5 ऐसे आसान और स्मार्ट तरीके, जिनकी मदद से आप अपने होम लोन की EMI का बोझ काफी हद तक कम कर सकते हैं।
1. अच्छा क्रेडिट स्कोर = सस्ती EMI:
आपका क्रेडिट स्कोर (जैसे CIBIL स्कोर) आपकी फाइनेंशियल कुंडली जैसा है। अगर आपने पहले के लोन और क्रेडिट कार्ड बिल समय पर चुकाए हैं, तो आपका क्रेडिट स्कोर अच्छा होगा। बैंक अच्छे क्रेडिट स्कोर वाले ग्राहकों को भरोसेमंद मानते हैं और उन्हें कम ब्याज दर पर लोन ऑफर करते हैं। कम ब्याज दर का सीधा मतलब है – कम EMI! इसलिए, हमेशा अपना क्रेडिट स्कोर अच्छा बनाए रखने की कोशिश करें।
2. ज्यादा डाउन पेमेंट, कम टेंशन:
होम लोन लेते समय आपको घर की कीमत का कुछ हिस्सा खुद देना होता है, जिसे डाउन पेमेंट कहते हैं। बाकी पैसा बैंक लोन देता है। अगर आप शुरुआत में थोड़ी ज्यादा रकम डाउन पेमेंट के तौर पर दे सकते हैं, तो आपके लोन की मूल रकम (Principal Amount) कम हो जाएगी। लोन की रकम कम होने से ब्याज भी कम लगेगा और आपकी EMI अपने आप घट जाएगी। तो, कोशिश करें कि ज्यादा से ज्यादा डाउन पेमेंट कर सकें।
3. बीच-बीच में करें प्री-पेमेंट का वार:
अगर आपके पास कभी बोनस, इंक्रीमेंट या कहीं और से अतिरिक्त पैसा आता है, तो उसे अपने होम लोन के प्री-पेमेंट में इस्तेमाल करें। यानी, लोन की अवधि पूरी होने से पहले ही मूल रकम का कुछ हिस्सा चुका दें। इससे न सिर्फ आपके लोन की कुल अवधि कम हो सकती है, बल्कि आप बैंक से कहकर अपनी EMI भी कम करवा सकते हैं (या अवधि कम करने का विकल्प चुन सकते हैं)। हालांकि, कुछ बैंक प्री-पेमेंट पर थोड़ी फीस ले सकते हैं, इसलिए पहले अपने बैंक से नियम जरूर पता कर लें।
4. बैंकों की तुलना करें, स्मार्ट बनें:
लोन लेने से पहले सिर्फ एक बैंक पर निर्भर न रहें। अलग-अलग बैंकों और फाइनेंशियल संस्थानों द्वारा ऑफर की जा रही होम लोन की ब्याज दरों (Interest Rates) की तुलना जरूर करें। थोड़ी सी रिसर्च आपको लंबे समय में हजारों रुपये बचा सकती है। फ्लोटिंग रेट वाले लोन अक्सर बेहतर होते हैं, लेकिन यह भी देखें कि बैंक RBI द्वारा रेपो रेट कम करने पर अपनी ब्याज दरें कम करता है या नहीं। जो बैंक जल्दी रेट कम करे, उससे लोन लेना फायदेमंद हो सकता है।
5. लोन ‘रिफाइनेंस’ का विकल्प आजमाएं:
अगर आपने लोन ले लिया है और बाद में आपको पता चलता है कि कोई दूसरा बैंक उसी लोन पर काफी कम ब्याज दर ऑफर कर रहा है, तो आप अपना मौजूदा लोन उस नए बैंक में ट्रांसफर करवा सकते हैं। इसे ‘लोन रिफाइनेंसिंग’ कहते हैं। इससे आपकी EMI काफी कम हो सकती है। हालांकि, इसमें कुछ प्रोसेसिंग फीस और पुराने बैंक को प्री-क्लोजर चार्ज देना पड़ सकता है, इसलिए फायदे और नुकसान का हिसाब लगाकर ही यह कदम उठाएं।
होम लोन क्यों है जरूरी?
आज की महंगाई में एकमुश्त पैसा देकर घर खरीदना मुश्किल है। होम लोन आपको किस्तों में भुगतान करने की सुविधा देता है, जिससे आपकी जमा-पूंजी एकदम से खत्म नहीं होती और आप अपने सपनों का घर बना पाते हैं। लंबी अवधि का लोन चुनने से EMI कम रहती है, लेकिन कुल ब्याज ज्यादा चुकाना पड़ता है। इन तरीकों को अपनाकर आप अपने होम लोन की EMI का बोझ हल्का कर सकते हैं और अपने घर के सपने को बिना ज्यादा आर्थिक तनाव के जी सकते हैं!