देश– चीन में चल रही कम्युनिस्ट पार्टी की बैठक खत्म हो गई है। एक बार पुनः बैठक खत्म होते ही यह मुहर लग गई है कि अब तीसरी बार शी जिनपिंग चीन का नेतृत्व करेंगे।
इस बार सभी की नजरें शी जिनपिंग और उनके डिप्टी बनाए गए गए ली कियांग पर टिकी हुई है। क्योंकि लोग यह दावा कर रहे हैं। बीते सालों की अपेक्षा इस बार का जिम्पिंग राज थोड़ा हटके होगा।
कियांग दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था को संभालने की होड़ में लगे हुए हैं। अब उनके लिए यह चुनौती भरा भी साबित होगा। क्योंकि चीन अपनी चरम पर पहुंची अर्थव्यवस्था में किसी भी प्रकार की हानि तो नही बर्दाश्त करेगा।
वही जब चीन ने अपनी अर्थव्यवस्था से जुड़े आंकड़े सार्वजनिक किये। तो यह देश और विदेश सभी के लिए विचारणीय बन गए। क्योंकि इन आकड़ो में चीन की जीरो कोविड पॉलिसी से लेकर अमेरिका के साथ उसका व्यापारिक तनाव भी शामिल है।
जाने क्या है चीन की चुनौती-
यदि हम चीन के आकड़ो से समझे तो इससे यह साफ है। यदि शी जिनपिंग अपनी नीतियों पर चलते रहे। तो इसकी कीमत चीन की अर्थव्यवस्था को चुकानी पड़ेगी। क्योंकि शी जिनपिंग की नीतियों का असर हॉन्ग कॉन्ग स्टॉक एक्सचेंज में भारी गिरावट आई और डॉलर के मुक़ाबले चीन की मुद्रा यूआन भी कमज़ोर हो गई।
लेकिन यदि हम बीते बरस के आकड़ो से समझे तो चीन की अर्थव्यवस्था में अभी तक कोई गिरावट नही आई है। यह बीते साल 3.9 फ़ीसदी की दर से बढ़ी और अनुमानों से आगे रही। लेकिन शी जिनपिंग की नीतियां कही न कही चीन के लिए खतरा बन रही है।
ईआईयू से जुड़े मेरो मानते हैं कि चीन के सामने सबसे बड़ी चुनौती अमेरिका के साथ ख़राब हो रहे रिश्ते हैं। क्योंकि चीन अपनी धुन में मग्न है। उसे अभी अपने वैश्विक रिश्तों से मानो कोई फर्क नही पड़ रहा है। लेकिन अगर ऐसा ही चलता रहा तो चीन को बड़ी समस्याओं से जूझना पड़ सकता है।
क्योंकि अभी हाल ही में अमेरिका ने जो एक्सपोर्ट प्रतिबंध’ लागू किए हैं वो ना सिर्फ़ चीन की तकनीकी महत्वाकांक्षाओं के लिए अस्तित्व का संकट बन सकते हैं बल्कि वो उसके घरेलू टेक्नोलॉजी सेक्टर को भी प्रभावित कर सकते हैं।