देश– इलाहाबाद हाईकोर्ट में आज दूसरी शादी को लेकर एक बड़ा बयान दिया गया है। जस्टिस सूर्य प्रकाश केसरवानी और जस्टिस राजेंद्र कुमार की बेंच ने परिवार न्यायालय अधिनियम के तहत दायर एक अपील पर आदेश देते हुए , अगर मुस्लिम पक्ष पहली महिला का खयाल ठीक तरीके से नही रख पा रहे हैं तो उन्हें कोई अधिकार नही है कि वह दूसरी शादी करे।
यह ठीक नही है आपको कोई हक नही है कि आप दूसरी शादी करें। कोर्ट ने कुरान का हवाला देते हुए कहा, अगर किसी व्यक्ति की एक शादी हो चुकी है। वह अपनी पहली पत्नी को खुश नहीं रख पा रहा है और वह उससे असंतुष्ट है। तो कुरान के अनुसार उस व्यक्ति को यह हक कतई नही है कि वह दूसरी शादी करे।
वही बाद में कानून का जिक्र करते हुए कोर्ट ने कहा की अगर किसी व्यक्ति की पहली पत्नी जिंदा है। तो उसके पास यह अधिकार नही है कि वह दूसरी शादी करे। वही अगर कोई व्यक्ति ऐसा करता है तो यह अनुचित है। इसे कानूनी तौर पर अपराध माना जाएगा।
कोर्ट ने अपने फ़ैसले में ये भी कहा कि एक मुस्लिम व्यक्ति जिसने अपनी पहली पत्नी की इच्छा के विरुद्ध दूसरी बार शादी की है, वह पहली पत्नी को उसके साथ रहने के लिए मजबूर नहीं कर सकता है और इसके लिए सिविल कोर्ट से राहत की मांग नहीं कर सकता।